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बोले भागलपुर: अतिथि शिक्षकों की मांग, सेवा नियमित की जाय

बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अतिथि शिक्षकों की बहाली की गई है, लेकिन उनकी सेवा शर्तें नियमित शिक्षकों से काफी भिन्न हैं। अतिथि शिक्षक भविष्य को लेकर चिंतित हैं और नियमितीकरण की मांग कर रहे...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरTue, 18 Feb 2025 09:31 PM
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बोले भागलपुर: अतिथि शिक्षकों की मांग, सेवा नियमित की जाय

राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालय में शैक्षणिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के उद्देश्य अतिथि शिक्षकों की बहाली की गई है। यह यूजीसी के मापदंड अनुसार हुई है। नियमित शिक्षकों की भांति ही अतिथि शिक्षक अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन उनकी सेवा शर्तें और नियमित शिक्षकों की सेवा शर्तों में जमीन आसमान का अंतर है। यही वजह है कि अतिथि शिक्षक अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। वे बहाली होने से लेकर अब तक अपनी सेवा नियमितीकरण की मांग विवि से लेकर सरकार स्तर तक ले जा चुके हैं। बावजूद अब तक उनकी मांगों पर आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला है। अतिथि शिक्षकों ने इस विषय पर पूर्व में कई बार आंदोलन किया है। ताकि उनकी मांगे पूरी की जा सके। इस मुद्दे पर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) में कार्यरत अतिथि शिक्षकों ने हिंदुस्तान के अभियान बोले भागलपुर के माध्यम से अपनी बातें रखीं।

टीएबीयू में 100 से ज्यादा अतिथि शिक्षक कार्य करते हैं। इसमें कोई छह तो कोई 10 साल से अपनी सेवाएं विवि में दे रहे हैं। इससे विश्वविद्यालय के पठन-पाठन का स्तर काफी बेहतर हुआ है। नियमित शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए अतिथि शिक्षकों की बहाली की गई थी। विद्यार्थियों की बढ़ती संख्या के कारण पठन-पाठन में मुश्किल हो रही थी। इस वजह से अतिथि शिक्षकों की बहाली हुई। उनके आने के बाद शैक्षणिक व्यवस्था सुदृढ़ हुई। उनके मानदेय में तो वृद्धि की गई है, लेकिन उनकी अन्य मांगों पर किसी तरह का विचार नहीं किया गया।

अतिथि शिक्षक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया सहित अन्य कागजी प्रक्रिया नियमित शिक्षकों की भांति की जाती है, लेकिन दोनों को मिलने वाले लाभ में काफी अंतर होता है। इससे अतिथि शिक्षकों का मनोबल टूटता है। ऐसी स्थिति में अतिथि शिक्षकों को नियमित शिक्षकों के सृजित पद पर समायोजित कर लिया जाना चाहिए।

डॉ. स्वीटी कुमारी ने कहा कि नियमित शिक्षकों की भांति है वे लोग भी कॉलेज और विभागों में पठन-पाठन विद्यार्थियों के बीच कर रहे हैं। उन्हें नियमित शिक्षकों के सृजित पद पर समायोजित करने की जरूरत है। तभी अतिथि शिक्षकों के साथ न्याय होगा। कई अतिथि शिक्षक ऐसे हैं जिनकी उम्र अतिथि शिक्षक रहते हुए बीतती चली गई। इस बीच में उन लोगों ने कहीं और नौकरी नहीं की। अतिथि शिक्षक को नियमित करने की जरूरत है, ताकि विवि की शैक्षणिक गुणवत्ता बनी रहे।

डॉ. मोनी कुमारी ने कहा कि अतिथि शिक्षकों को हटाने की जगह उन्हें विश्वविद्यालय के शिक्षकों के पद में समायोजित कर लेने की जरूरत है। डॉ. संजीव चौधरी ने कहा कि शिक्षकों के समायोजन से विवि के विद्यार्थियों को काफी सहूलियत होगी। उन्हें शिक्षकों के खाली पद के कारण होने वाली असुविधा से जूझना नहीं पड़ेगा। डॉ. राजीव रंजन ने कहा कि नियमित शिक्षकों की बहाली होने के बाद अतिथि शिक्षकों को हटा दिया जाता है। यह काफी गलत है। उन्हें भी जीने का अधिकार है। ऐसे लोगों नहीं हटाया जाना चाहिए।

डॉ. आनंद सौमित्र ने कहा कि अतिथि शिक्षक पूरी लगन के साथ कक्षाओं का संचालन करते हैं। उन्हें भी सारी सुविधाएं मिलनी चाहिए। डॉ. रतिकांत ठाकुर ने कहा कि अतिथि शिक्षक अपने भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं। डॉ. अजहर अली ने कहा कि अतिथि शिक्षकों की सेवा नियमित करने की व्यवस्था अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। डॉ. शुभम कुमार ने कहा कि जरूरी है कि अतिथि शिक्षकों को भी समान काम के लिए समान लाभ मिले। इससे शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित होगा।

डॉ. आनंद कुमार और डॉ. शरद चंद्र ने कहा कि राज्य के सभी विवि में कार्यरत अतिथि शिक्षकों के लिए सेवा नियमित करने के लिए सरकार को प्रयास करने की जरूरत है। इस मौके पर डॉ. शंकर पांडेय, डॉ. आलोक, डॉ. श्वेता रानी, डॉ. आरती कुमारी, डॉ. प्रियंका चोखानी ने भी अपने विचार रखे।

इनकी भी सुनिए

सृजित पद पर होना चाहिए अतिथि शिक्षकों का समायोजन

टीएमबीयू अतिथि शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. आनंद आजाद ने कहा कि अतिथि शिक्षकों की बहाली में यूजीसी के सभी मानकों का पालन किया जाता है। इसी नियमों के तहत नियमित शिक्षकों की भी बहाली होती है, लेकिन दोनों की सेवा में काफी अंतर होता है। जबकि कई वर्षों से अतिथि शिक्षक विवि और विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे अतिथि शिक्षकों की सेवा को सृजित पद के अनुरूप ही नियमित शिक्षक के रूप में समायोजित कर लेना चाहिए। इससे विवि के पठन-पाठन में और बेहतर सुधार होगा। साथ ही अतिथि शिक्षकों को भी नियमित शिक्षकों की भांति विभिन्न सुविधा दिए जाने की जरूरत है। इससे उनके कार्य क्षमता में वृद्धि होगी। साथ ही वे अपना शत-प्रतिशत शैक्षणिक व्यवस्था के सुधार में देंगे। विवि में विद्यार्थियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। सीबीसीएस सिस्टम के तहत भी पढ़ाई में शिक्षकों की कमी होती है। ऐसे में नए पद सृजन की भी जरूरत विवि में है।

अतिथि शिक्षकों को नहीं हटाया जाय

डॉ. मोहिनी कुमारी ने कहा कि सरकार रोजगार की बात करती है, लेकिन अतिथि शिक्षकों को बहाल करने के बाद उन्हें नियमित शिक्षकों की बहाली होते ही हटा दिया जाता है। यह कतई गलत है। अतिथि शिक्षक रहते हुए उनसे एफिडेविट मांगा जाता है कि वे कहीं और कार्यरत नहीं हैं। ऐसी स्थिति में वर्षों से कार्य कर रहे अतिथि शिक्षकों को हटाने से उनके समक्ष परिवार को चलाने की चिंता हो जाती है। उनकी उम्र भी इतनी हो जाती है कि वे कहीं और नौकरी करने की स्थिति में नहीं होते। ऐसे में सरकार को जरूरी कदम उठाते हुए जितने भी अतिथि शिक्षक हैं, उन्हें पद के अनुरूप नियमित शिक्षकों की भांति समायोजित कर लेना चाहिए। इससे उनके कई वर्षों की मेहनत को असल न्याय मिलेगा। अन्यथा उनके सामने विकट समस्या पैदा हो जाएगी। वे लोग विवि में सेवा देते हुए शैक्षणिक व्यवस्था को सुधार करने में लगे रहते हैं। इस कारण उन्हें समायोजित करना चाहिए।

विद्यार्थियों की संख्या को देखते हुए हो नए पदों का सृजन

डॉ. अरुण पासवान ने कहा कि कई अतिथि शिक्षक कई वर्षों से अपनी सेवाएं देते आ रहे हैं। शिक्षकों की उम्र बीतते जा रही है। उनके पास नौकरी का कोई विकल्प नहीं बचा है। जिस समय अतिथि शिक्षकों की बहाली होती है। उनसे शपथ पत्र लिया जाता है कि वह अन्यत्र कहीं भी किसी सेवा में नौकरी नहीं करेंगे। ऐसी स्थिति में नियमित शिक्षकों की बहाली होते ही उन्हें हटा दिया जाता है। जबकि यह गलत व्यवस्था है। जरूरी है कि विद्यार्थियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए नए पद सृजित करते हुए उन पदों पर ही नियमित शिक्षकों की भांति अतिथि शिक्षकों को समायोजित कर लेना चाहिए। इससे विवि में शिक्षकों की होने वाली कमी को दूर करने के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में भी विवि को मदद मिलेगी। इसको लेकर अतिथि शिक्षकों द्वारा जिला से लेकर राज्य स्तर तक संबंधित फोरम पर मांग भी की गई है। जिसे स्वीकार करते हुए न्याय देने की जरूरत है।

अतिथि शिक्षकों को है अपने भविष्य की चिंता

डॉ. पवन कुमार जायसवाल ने कहा कि विवि में अतिथि शिक्षक नियमित शिक्षकों की भांति ही अपनी सेवा दे रहे हैं। इससे विवि के पठन-पाठन की गतिविधि बेहतर है। अतिथि शिक्षक भविष्य को लेकर चिंतित हैं कि कब उन्हें हटा दिया जाएगा। नियमित शिक्षकों के आने के बाद कई अतिथि शिक्षकों को हटाया भी गया है। इससे उनके समक्ष कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। जो अतिथि शिक्षक विवि के शैक्षणिक गतिविधियों को सुदृढ़ करने के लिए अपनी ईमानदारी से सेवा देते हैं, उन्हें किसी भी समय हटा देने की परंपरा गलत है। ऐसे शिक्षकों को पद सृजन करते हुए सेवा समायोजित करने की आवश्यकता है। इस व्यवस्था से हर साल सेवानिवृत्त होने वाले नियमित शिक्षकों की कमी को पूरा किया जा सकता है। साथ ही सबसे जरूरी है कि पूर्व से कार्यरत जो भी अतिथि शिक्षक हैं। उन्हें विवि की सेवा में समायोजित कर लेना चाहिए इससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में और बढ़ोतरी होगी।

अतिथि शिक्षकों की सेवा में उम्र सीमा 65 साल करने की जरूरत है। इससे वे अपनी सेवा देते हुए भविष्य को लेकर चिंतित नहीं रहेंगे। जरूरी है कि उम्र सीमा में बदलाव किया जाए, ताकि मानक को पूरा करने वाले व्यक्ति अतिथि शिक्षकों के रूप में अपनी सेवा देते रहें।

-डॉ. रविशंकर मिश्रा

विश्वविद्यालय में जो अतिथि शिक्षक पूर्व से कार्य कर रहे हैं। उन्हें हटाया नहीं जाना चाहिए। नियमित शिक्षकों की बहाली होने के बाद उन्हें पद के अनुरूप दूसरे स्थान पर समायोजित कर लेने की जरूरत है। इससे कई वर्षों से पढ़ाने वाले अतिथि शिक्षकों के साथ न्याय होगा।

-डॉ. उज्जवल आलोक

अतिथि शिक्षकों को नियमित करने की जरूरत है, ताकि विवि का पठन-पाठन सुचारू रूप से चलता रहे। इससे शिक्षकों की कमी से जूझ रहे विवि में परेशानी नहीं होगी। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सकेगी। इसके लिए सरकार स्तर पर सकारात्मक प्रयास करने की जरूरत है।

-डॉ. रविशंकर

जिस तरह से नियमित शिक्षकों की बहाली होती है। उसी अर्हता और मानदंडों पर अतिथि शिक्षकों की भी बहाली होती है। ऐसे में उनकी सेवा शर्तों में अंतर नहीं होना चाहिए। इससे अतिथि शिक्षकों का मनोबल टूटता है। जो पूर्व से कार्यरत अतिथि शिक्षक हैं, उनकी सेवा को नियमित करने की जरूरत है।

-प्रियतम कुमार

बिहार के अलावा कई दूसरे राज्यों में अतिथि शिक्षकों की सेवाएं समय-समय पर नियमित की गयी हैं। उनके अनुसार ही हर विवि के अतिथि शिक्षकों की भी सेवा को नियमित कर देने की जरूरत है। इससे विवि में शैक्षणिक व्यवस्था में लगातार सुधार होगा।

-डॉ. आदित्य

अतिथि शिक्षकों और नियमित शिक्षकों की बहाली यूजीसी मानदंडों के अनुसार होती है। यूजीसी के सभी नियम का पालन दोनों ही प्रक्रिया में की जाती है, लेकिन अतिथि शिक्षकों की सेवा शर्त में काफी अंतर होता है। इस कारण दोनों को समान सुविधाएं होनी चाहिए।

-डॉ. चंदन कुमार

अतिथि शिक्षकों की सेवा नियमित करने की जरूरत है। पिछले कई वर्षों से कार्य कर रहे हैं, उन्हें विश्वविद्यालय की सेवा में समायोजित कर लेना चाहिए। इसके लिए वे लगातार अपनी मांग कर रहे हैं। साथ ही उनके मानदेय को भी बेहतर करने की जरूरत है।

-डॉ. बीवी नूरजहां

विवि में सालों से काम कर रहे अतिथि शिक्षकों के सामने भविष्य में क्या होगा इसके बारे में चिंता होती है। उनकी सेवा नियमित शिक्षकों की भांति बहाल की जाती है, लेकिन सेवा में आने के बाद दोनों की सेवा शर्तों में काफी अंतर होता है। नियमित शिक्षकों की भांति ही अतिथि शिक्षकों को सारी सुविधाएं देने की जरूरत है।

-डॉ. रितु कुमारी

विवि के शैक्षणिक व्यवस्था के लिए बेहतर होगा कि नियमित शिक्षकों के पद पर अतिथि शिक्षकों की सेवा को विवि में समायोजित कर लेना चाहिए। यदि पद सृजन की समस्या आती है तो नए पद सृजन करने की जरूरत है, ताकि अतिथि शिक्षकों को सेवा से हटाने की जरूरत न पड़े।

-डॉ. किरण कुमारी

नियमित शिक्षकों की भांति ही अतिथि शिक्षक विद्यार्थियों को ज्ञान देते हैं। साथ ही वह नियमित शिक्षकों के यूजीसी द्वारा जारी सभी मापदंड को पूरा करते हैं। ऐसे में जरूरी है कि उन्हें नियमित शिक्षकों के पद पर समायोजित कर लिया जाए।

-डॉ. रेणु कुमारी

विश्वविद्यालय में कई अतिथि शिक्षक 10 साल से अपनी सेवा दे रहे हैं। बावजूद भविष्य को लेकर उनके पास कई चिंताएं हैं। एक अतिथि शिक्षक के साथ उनका पूरा जीवन जुड़ा होता है। यदि उन्हें सेवा से हटाया जाता है तो उनके परिवार के सामने भी कई तरह के संकट आ जाते हैं। इस कारण इस व्यवस्था को बदलने की जरूरत है।

-डॉ. अमिता सिन्हा

अतिथि शिक्षकों की बहाली होने के बाद नियमित शिक्षकों की बहाली में सरकार का काफी संसाधन और खर्च होता है। उन खर्च को रोकने के लिए या उसमें कमी लाने के लिए जो भी अतिथि शिक्षक हैं, उन्हें विवि की सेवा में बहाल कर लेने की जरूरत है। इससे समय और खर्च दोनों की बचत होगी।

-डॉ. धीरेंद्र कुमार

अतिथि शिक्षकों को मानदेय के अलावा किसी तरह की सुविधा नहीं मिलती है। उन्हें बहाल होने के बाद नियमित शिक्षकों की भांति ही अलग-अलग भत्ता का प्रावधान होना चाहिए। इससे वे और तन्मयता के साथ शैक्षणिक व्यवस्था में अपना योगदान दे सकेंगे।

-डॉ. गौरव कुमार

विवि में पूर्व की सेवाओं में अनुबंध पर बहाल शिक्षकों को नियमित किया गया है। इस नियम के तहत वर्तमान में कई वर्षों से कार्यरत अतिथि शिक्षकों को पद सृजित कर बहाल कर लेने की जरूरत है। यह व्यवस्था अतिथि शिक्षकों के साथ विवि के शैक्षिक पाठ्यक्रम व्यवस्था में भी मील का पत्थर साबित होगा।

-डॉ. सर्पराज रमानंद सागर

शिकायत

दूसरे राज्यों में अतिथि शिक्षकों को समायोजित किया गया, बिहार में नहीं

सेवा शर्तों के अनुसार नियमित शिक्षकों की नियुक्ति होने के बाद अतिथि शिक्षकों को हटा दिया जाता है।

एक साथ एक ही सिलेबस पढ़ाने के बावजूद अतिथि शिक्षकों के साथ दोहरा मानदंड अपनाया जा रहा।

काम से हिसाब से अतिथि शिक्षकों का मानदेय बेहद कम है, इसमें कैसे आर्थिक स्थिति ठीक होगी।

अवकाश में रहने पर मानदेय नहीं मिलता है, यह बिल्कुल उचित नहीं है। घर चलाने की चिंता।

सुझाव

विश्वविद्यालय अगर अतिथि शिक्षकों को नियमित करता है तो शैक्षणिक गुणवत्ता भी बढ़ेगी।

मानदेय में बढ़ोतरी हो और इसके अलावा अन्य तरह के भत्ते दिए जाने का प्रावधान हो।

अतिथि शिक्षकों को पद सृजित कर बहाल करना चाहिए, विवि के शैक्षणिक स्तर में सुधार होगा।

विश्वविद्यालय में छात्रों की बढ़ती संख्या के अनुसार पद सृजन का निर्णय होना चाहिए।

विश्वविद्याल से लेकर सरकार के स्तर तक पर इस मामले में पहल होनी चाहिए।

बोले जिम्मेदार

टीएमबीयू प्रशासन से अतिथि शिक्षक संघ ने शिक्षकों के सृजित पद वापस करने की मांग की थी। इस संबंध में विवि द्वारा उनकी मांगों के बाद शिक्षा विभाग को पत्र भेजा गया है। शिक्षा विभाग का दिशा-निर्देश प्राप्त होने के बाद आगे की प्रक्रिया की जाएगी।

-डॉ. रामाशीष पूर्वे, कुलसचिव टीएमबीयू

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