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बोले कटिहार : पांच साल हो सर्टिफिकेशन की अवधि, नहीं लगाएं सेस

बिहार के चिकित्सक हर साल विभिन्न प्रकार के प्रमाण पत्र और कर के बोझ तले मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के चिकित्सकों ने अपनी समस्याएं उजागर की हैं, जिसमें हर साल 11 प्रकार के...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 24 Feb 2025 12:00 AM
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बोले कटिहार : पांच साल हो सर्टिफिकेशन की अवधि, नहीं लगाएं सेस

चिकित्सकों को धरती का भगवान कहा जाता है। ये रोगियों को नया जीवन देते हैं लेकिन इनके जीवन में भी परेशानियां कम नहीं हैं। टैक्स और प्रमाणपत्रों के नाम पर इनका शोषण हो रहा है। हर साल सर्टिफिकेशन और नए कर का बोझ से मानसिक रूप से परेशान हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के चिकित्सकों ने संवाद के दौरान अपनी समस्या बताई। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. एसएम अली और सचिव डॉ. केके मिश्रा ने बताया कि चिकित्सकों का हर क्षण प्रयास रहता है कि रोगियों और उनके परिजनों की उम्मीद पर खरे उतरें। मगर अनुचित माहौल में चिकित्सकों को तनाव के साथ करना पड़ता है। चिकित्सकों की सहूलियत के लिए आम लोगों, जनप्रतिनिधियों और सरकार को सोचने की जरूरत है।

11 प्रकार का हर साल एनओसी लेना पड़ता निजी चिकित्सकों को

03 सौ 50 निजी चिकित्सक हैं कटिहार जिले में कार्यरत

05 साल में सर्टिफिकेशन की जिले के चिकित्सकों ने की मांग

रोज नये-नये कर और लागू होते कानून से जिले के चिकित्सक परेशान हैं। आईएमए के उपाध्यक्ष डॉ. प्रेम रंजन ने बताया कि चिकित्सकों से हर किसी की उम्मीद रहती है। सरकार, शासन, प्रशासन, रोगी और उनके परिजन उम्मीद रखते हैं कि इलाज बेहतर हो। मगर दिन प्रतिदिन चिकित्सकों के प्रति व्यवहार और कानून दोनों विपरीत होने लगे हैं। इस कारण रोगियों के बीच काम करने वाले चिकित्सकों को कभी सड़क पर उतरना पड़ रहा है, तो कभी आंदोलन व हड़ताल का सहारा लेना पड़ता है।

विभिन्न प्रकार के सर्टिफिकेशन और कर के नाम दोहन

चिकित्सकों को सरकार और प्रशासन विभिन्न प्रकार के सर्टिफिकेशन और कर के जाल में उलझा कर रख दिया है। अब सरकार चिकित्सकों से सैस कर वसूलने की तैयारी कर रही है। बताया जा रहा है कि 2008 के बाद जिस किसी चिकित्सकों द्वारा क्लिनिक, नर्सिंग होम या घर बनाया गया है। उसकी कुल लागत का 1 प्रतिशत टैक्स देना होगा। इस फरमान को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पहले से ही चिकित्सकों से कई प्रकार का कर लिया जाता है। ट्रेड लाईसेंस, प्रोफेशनल टैक्स, आयकर टैक्स आदि के नाम पर कर का भुगतान चिकित्सकों द्वारा किया जाता है। पहले नहीं था मगर अब हर साल सर्टिफिकेट देना पड़ता है। इससे चिकित्सक मानसिक परेशानी से जूझ रहे हैं। झारखंड और यूपी में प्रतिष्ठान स्थापना अधिनियम के तहत चिकित्सकों को कई छूट दी गई है। 50 बेड तक वाले नर्सिंग होम के सचांलन में कानूनी छूट है। मगर बिहार में एक्ट में ढिलाई नहीं दी गई है। इससे तनाव में काम होता है।

पांच साल पर सर्टिफिकेशन की हो व्यवस्था :

मूलभूत संरचना की कमी है। सीमित संसाधन के बीच रोगियों को इलाज करना पड़ता है। चिकित्सकों की कमी है। सरकार ने प्रतिष्ठान अधिनियम के तहत एमबीबीएस पास चिकित्सकों को प्रैक्टिस करने की अनुमति नहीं दी है। जिन चिकित्सकों को रोगियों का इलाज करने का अधिकार दिया जाता है। उनको कई प्रकार के नो ओब्जेक्शन सर्टिफिकेट की मांग की जाती है। चिकित्सक से 11 प्रकार के सर्टिफिकेट की मांग की जा रही है। साथ ही जिला प्रशासन के विभिन्न विभागों में स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम, अग्निशमन विभाग और पुलिस विभाग द्वारा सर्टिफिकेशन देने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। चिकित्सकों को हर साल सर्टिफिकेट को प्राप्त करने और एनओसी लेने में ही एक से दो माह लग जाता है। न्यूनतम 5 साल पर सर्टिफिकेटशन की व्यवस्था हो।

पार्किंग और सफाई की हो व्यवस्था :

मेडिकल हब विनोदपुर में रोगियों और चिकित्सकों के लिए पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। रोगियों और चिकित्सकों के वाहनों की चोरी हो जाती है। कम से कम रोगियों और चिकित्सकों के लिए विनोदपुर में पार्किंग की व्यवस्था करने पर नगर निगम को विचार करने की जरूरत है। लाखों रुपये टैक्स के नाम पर चिकित्सकों से लिया जाता है। मगर सुविधा और संसाधन के नाम पर कुछ भी नहीं दिया जाता है। निजी चिकित्सकों के क्लिनिकों और नर्सिंग होम के आसपास भी समुचित साफ व सफाई का अभाव होता है। क्लीनिक के सामने बिना ढक्कन के नाला और गदंगी का माहौल है। नगर निगम को विनोदपुर, राजहाता और अन्य क्षेत्रों में बेहतर साफ-सफाई करवाने की जरूरत है।

शिकायतें

01. सर्टिफिकेशन और अनेक प्रकार के कर के नाम पर दोहन किया जा रहा है।

02. एमबीबीएस पास आउट चिकित्सकों को प्रैक्टिस करने की अनुमति नहीं दी जा रही है।

03. सरकार की ओर से मानसिक परेशानी देने से तनाव रहता है, इलाज में परेशानी हो रही है।

04. इलाज के क्रम में अवांछित कार्यों व लोगों से अन्य रोगियों के इलाज में परेशानी होती है।

05. प्रशासनिक सहयोग की कमी रहती है। सूचना पर पुलिस और प्रशासन का सहयोग नहीं मिलता।

सुझाव

01. सर्टिफिकेशन प्रकिया को सरकार व प्रशासन को सरल बनाने की जरूरत है।

02. झारखंड और यूपी के तर्ज पर बिहार में भी स्थापना अधिनियम में ढिलाई देनी चाहिए।

03. चिकित्सकों से हर साल एनओसी मांगने के बदले 5 साल में एनओसी का प्रावधान हो।

04. मेडिकल हब विनोदपुर में रोगियों के लिए पार्किंग की व्यवस्था होनी चाहिए।

05. क्लिनिक और नर्सिंग होम के आसपास साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था करनी चाहिए।

सुनें हमारी बात

झारखंड और यूपी के तर्ज पर बिहार में भी प्रतिष्ठान स्थापना अधिनियम में ढिलाई देने की जरूरत है। मानसिक रूप से परेशान होना पड़ रहा है।

डॉ. केके मिश्रा

समुचित माहौल उत्पन्न करने के लिए सभी को सहयोग करना चाहिए। शासन, प्रशासन, बुद्धिजीवी लोग, रोगी और उनके परिजनों को सहयोग करना चाहिए।

डॉ. प्रेम रंजन

विनोदपुर में बेहतर साफ-सफाई और स्वच्छता का माहौल बनाने की जरूरत है। ताकि स्वच्छ माहौल में इलाज कराया और किया जा सके।

डॉ. एस एम अली

चिकित्सकों की सेवा एक मानव सेवा है। यह हर किसी को समझाना चाहिए। चिकित्सकों को सहयोग मिले तो बेहतर इलाज किया जा सकता है।

डॉ. एस एम ठाकुर

अग्निशमन का प्रमाण पत्र हर साल के बदले पांच साल में एक बार सरकार को मांगना चाहिए। इससे चिकित्सकों की परेशानी कम होगी।

डॉ. एमके चौधरी

सर्टिफिकेशन के नाम पर चिकित्सकों को दोहन किया जा रहा है। चिकित्सकों को किसी न किसी मामले में उलझा कर रखने की साजिश चल रही है। इसे बंद किया जाना चाहिए।

डॉ. रुपेश ठाकुर

चिकित्सक के प्रति विश्वास करना चाहिए। चिकित्सकों को भी समुचित व्यवहार का हकदार समझाना चाहिए। इससे रोगियों का इलाज करने में मदद मिलती है।

डॉ. एनके झा

जीवन और मृत्यु के बीच काम करने वाले चिकित्सकों को तनाव से मुक्त रखना चाहिए। यह प्रशासन, आम लोग और जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है।

डॉ. सुधीर

एमबीबीएस पास आउट चिकित्सकों को भी प्रैक्टिस करने का अधिकार मिलना चाहिए। इससे चिकित्सकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी और रोगियों को लाभ मिलेगा।

डॉ. निवेदिता मिश्रा

चिकित्सकों से विभिन्न प्रकार का कर वसूला जाता है। मगर साधन और संसाधन नहीं देते। सरकार को इसकी चिंता करनी चाहिए।

डॉ. प्रिया सिन्हा

चिकित्सकों को लेकर बनाये गये कानून को और ज्यादा सरल बनाने की जरूरत है। कानून सरल नहीं होने से मानसिक रूप से परेशान होते हैं।

डॉ. शमी अहमद

चिकित्सकों पर हर किसी को भरोसा होता है। इसी प्रकार से चिकित्सकों को भी लोगों पर किसी न किसी रूप से भरोसा होता है। इसपर खरा उतरना चाहिए।

डॉ. लक्ष्मण कुमार

इलाज में सहयोग करने का हर संभव प्रयास चिकित्सकों द्वारा किया जाता है। मगर जब चिकित्सकों को सहयोग की जरूरत होती है तो जिम्मेदार कतराने लगते हैं।

डॉ. अजय कुमार

समाज में चिकित्सकों के प्रति सकारात्मक वातावरण बनाने की जरूरत है। तभी बेहतर इलाज की कल्पना करनी चाहिए। सरकार व प्रशासन को सहयोग करने की जरूरत है।

डॉ. प्रवीण चंद्रा

पहले के तुलना में चिकित्सकों के प्रति सहयोग सकारात्मक हुआ है। मगर नाकारात्मक प्रभाव कम नहीं हुए हैं। इसके प्रति हर किसी को विचार करना चाहिए।

डॉ. मो. तनवीर उस्मानी

सरकारी कार्यालय में चिकित्सकों से संबंधित कार्यों के प्रति विशेष ध्यान देने की जरूरत है ताकि चिकित्सक अपना काम निबटा कर अधिक से अधिक समय रोगी को दे सकें।

डॉ. जयंद ज्ञानी

प्रशासन को चिकित्सकों के अधिकारों की रक्षा के प्रति भी विशेष ध्यान देना चाहिए। चिकित्सकों द्वारा समय-समय पर उठाई गई मांगों पर ध्यान देना चाहिए।

डॉ. नवनीत कुमार

महिला चिकित्सकों की सुरक्षा के प्रति प्रशासन और पुलिस को सजग रहना चाहिए। नर्सिंग होम और क्लीनिकों के आसपास गश्ती की जरूरत है।

डॉ. लक्ष्मी सेन

प्रशासनिक उदासीनता के कारण चिकित्सक मानसिक झंझावात झेल रहा है। इसको कम करने का प्रयास हर किसी को करना चाहिए।

डॉ. दिलीप कुमार

समय-समय पर चिकित्सकों के खिलाफ तुगलकी फरमान पर रोक लगनी चाहिए। इससे चिकित्सकों को इलाज करने में काफी दिक्कत होती है।

डॉ. आकाश कुमार

बोले जिम्मेदार

समय-समय पर चिकित्सकों के अधिकार के प्रति सरकार समुचित कदम उठाने का प्रयास करती रही है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के चिकित्सकों की जो भी समुचित मांग हैं। उसके निपटारे के लिए हर संभव प्रयास किया जायेगा। बिहार सरकार से संबंधित मांगों से सरकार को अवगत कराया जायेगा। स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने भी चिकित्सकों के सामने रखा जायेगा। ताकि सर्टिफिकेशन और प्रतिष्ठान स्थापना अधिनियम में दूसरे राज्यों की तरह बिहार के चिकित्सकों को राहत मिल सके।

तारकिशोर प्रसाद, पूर्व डिप्टी सीएम सह विधायक, कटिहार।

बोले कटिहार असर

कटिहार में खुलेगा सैनिक कल्याण कार्यालय, खुशी

कटिहार। पूर्व सैनिक और उनके आश्रितों की समस्या को लेकर हिन्दुस्तान अखबार में बोले कटिहार संवाद के तहत 30 जनवरी को स्टोरी छापी गई थी। इसमें टोल टैक्स में छूट, कटिहार में सैनिक कल्याण कार्यालय खोलने की मांग को लेकर खबर छापी गई थी। खबर प्रकाशन के बाद विभाग ने संज्ञान में लिया है। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव, अरविंद कुमार चौधरी के आदेश पर अब कटिहार सहित सूबे के 12 जिलों में सैनिक कल्याण कार्यालय खोलने का निर्देश जारी किया गया है।

जानकारी हो कि सूबे के 12 जिलों में नालंदा, मधुबनी, समस्तीपुर, जहानाबाद, कैमूर, पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सीतामढ़ी, औरंगाबाद, कटिहार (पूर्णिया, अररिया, किशनगंज), सहरसा (मधेपुरा, सुपौल) और बेगूसराय (खगड़िया) शामिल है। पूर्व सैनिक सेवा परिषद के जिलाध्यक्ष अनिल चौधरी ने बताया कि इससे कटिहार जिला में पूर्णिया, अररिया, किशनगंज जिले के 9997 पूर्व सैनिक, कार्यरत सैनिक, वीरगति प्राप्त सैनिकों के आश्रितों को लाभ मिलेगा। इससे पहले सीमांचल के 9 जिलों के सैनिकों को अपने विभागीय कार्य के लिए भागलपुर जाना पड़ता था। आजादी के 78 वर्ष बाद बिहार के कोसी और सीमांचल के सैनिक परिवारों को न्याय मिला है। बिहार सरकार और केंद्र सरकार ने पूर्णिया प्रमंडल के कटिहार जिले और कोसी प्रमंडल के सहरसा में जिला सैनिक कल्याण कार्यालय खोलने की पहल की है। कटिहार के पूर्व सैनिकों ने सरकार के इस निर्णय पर खुशी व्यक्त की है। इससे समस्याओं का निदान भविष्य में होने की उम्मीद जगी है। जिला सैनिक कल्याण कार्यालय, ईसीएचएस व पॉली क्लिनिक, कैंटीन, स्पर्श कार्यालय के लिए संगठन के स्तर पर प्रयास किया जाएगा। पूर्व सैनिक सेवा परिषद के जिला सचिव अमित कुमार, उपाध्यक्ष अशरफ मदनी, कोषाध्यक्ष राम प्रवेश कुमार, प्रवक्ता रमेश कुमार, उपसचिव फूलचंद्र यादव, मनोज गुप्ता, पप्पू सिंह, अनिल सिंह, मो. खान, संजीव मिश्रा, सुनील सिंह आदि ने हिन्दुस्तान अखबार के बोले कटिहार मुहिम के प्रति आभार व्यक्त किया है।

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