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बोले पूर्णिया : युवाओं को सस्ता लोन मिले, पंजाबी शिक्षा के लिए खुले स्कूल

पूर्णिया जिले में सिख समुदाय की संख्या लगातार घट रही है। पहले 500 से अधिक परिवार थे, अब केवल 30-35 परिवार ही बचे हैं। सरकार की ओर से इस समुदाय के विकास के लिए कोई विशेष सुविधा नहीं है। सिख समुदाय...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSun, 23 Feb 2025 11:53 PM
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बोले पूर्णिया : युवाओं को सस्ता लोन मिले, पंजाबी शिक्षा के लिए खुले स्कूल

पूर्णिया जिले के शहरी क्षेत्र में सिख समुदाय की संख्या काफी कम हो गई है। मात्र 30 से 35 परिवार ही बचे हैं। इनकी कुल जनसंख्या 250 के करीब हैं। इनके कल्याण और विकास के लिए सरकार की ओर से अलग से कुछ विशेष नहीं है। इस समुदाय के लोग स्वयं संघर्ष कर अपना वजूद बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और सम्मानजनक जीवन जी रहे हैं। इनका एक गुरुद्वारा पूर्णिया के भट्ठा बाजार में है। इसका नाम गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सत्संग सभा है। यहां समय-समय पर सिख समुदाय के लोग पहुंचकर अपने गुरु का आशीष लेते हैं। समाज के लोग गुरुद्वारा में ही आपस में बातें कर अपना सुख-दुख बांटते हैं। हिन्दुस्तान के साथ संवाद के दौरान समाज के लोगों ने अपनी समस्या बताई।

35 सिख परिवार ही अब बच गए हैं पूर्णिया शहर में

02 सौ 50 के करीब पंजाबी समुदाय के लोग रहते हैं शहर में

05 सौ से अधिक परिवार रहते थे वर्ष 1984 के पहले

कभी पूर्णिया के हर आयोजन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले सिख समुदाय के लोग पूर्णिया में कम हो गए हैं। करीब 40 साल पहले सिख समुदाय के परिवारों की संख्या पूर्णिया में काफी ज्यादा थी। ऑटोमोबाइल सेक्टर में इनकी विशेष पहचान थी। कहा जाता है कि इन लोगों के सानिध्य से ही पूर्णिया में ऑटोमोबाइल्स वर्क डेवलप हुआ और ''रिंज'' के शहर के रूप में पूर्णिया की एक पहचान बनी। काफी कम संख्या में बचे सिख परिवार आज भी अपने संघर्ष और मेहनत के बल पर वजूद बनाए हुए हैं। पूर्णिया में तीन गुरुद्वारा हैं, जिसमें 'गुरुद्वाराश्री गुरु नानक सत्संग सभा' ही बचा है। यहां बड़े धूमधाम से बैसाखी पूजा और गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। दो पुराना गुरुद्वारा मधुबनी और सिटी में है। गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सत्संग सभा स्थल पर पहुंचे सिख समुदाय के लोगों ने कहा कि आज हम जहां हैं वहीं से नई शुरुआत कर सकते हैं। बस जरूरत है सभी समाज के सामूहिक सहयोग की। हममें भी नया पूर्णिया बनाने का जज्बा है। गुरुद्वारे की कोई निश्चित आमदनी नहीं है। किराये की दुकानों से आमदनी होती है। मगर कुछ लोग इसमें आनाकानी करते हैं।

पूर्णिया में कैसे कम हो गए सिख समुदाय के लोग

पूर्णिया। 31 अक्टूबर 1984 को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश भर में सिख समुदाय के खिलाफ हिंसा की एक लहर दौड़ गई। यह हिंसा बिहार के पूर्णिया जिले में भी देखी गई। पूर्णिया में सिखों के साथ हुई हिंसा और उनके घरों व व्यवसायों को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं ने इस क्षेत्र को गहरे सदमे में डाल दिया। कहा जाता है कि पूर्णिया में भीड़ ने सिखों के घरों, दुकानों और गुरुद्वारों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार हिंसा की शुरुआत 1 नवंबर को हुई, जब कुछ उग्र तत्वों ने सिख समुदाय के खिलाफ नारेबाजी शुरू की और उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया। पूर्णिया के कई इलाकों में सिख परिवारों को अपने घर छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। कई सिखों की दुकानें और वाहन जला दिए गए। स्थानीय गुरुद्वारों को भी नुकसान पहुंचाया गया।

एक समय आया जब हिंदू मित्रों ने दी शरण :

पूर्णिया। हिंसा के दौरान कई सिख परिवारों ने अपने पड़ोसियों और हिंदू मित्रों के घरों में शरण ली, जिन्होंने उनकी जान बचाने में मदद की। प्रशासन ने हिंसा को रोकने के लिए कदम उठाए, लेकिन शुरुआती घंटों में स्थिति को नियंत्रित करने में विफल रहे। कर्फ्यू लगाने और सुरक्षा बलों की तैनाती के बाद ही स्थिति में सुधार हुआ। स्थानीय नेताओं और समाजसेवियों ने शांति बहाल करने के लिए प्रयास किए, लेकिन हिंसा के दौरान हुए नुकसान की भरपाई नहीं हो सकी। पूर्णिया के सिख समुदाय ने इस घटना को अपने जीवन का सबसे दर्दनाक दौर बताया। कई परिवारों ने अपनी आजीविका और संपत्ति खो दी। हालांकि कुछ लोगों ने अपने पड़ोसियों और दोस्तों की मदद की सराहना की, जिन्होंने उन्हें इस कठिन समय में सहारा दिया। आज भी पूर्णिया के सिख समुदाय को उस दौर की यादें सालती हैं, लेकिन वे अपने साहस और संघर्ष के बल पर फिर से खड़े हो गए हैं।

शिकायतें

1. दिन-प्रतिदिन घट रही जिले में सिख परिवारों की संख्या

2. सिख परिवारों के विकास के लिए अलग से कोई सुविधा नहीं

3. धार्मिक आयोजन में सार्वजनिक सहयोग का अभाव

4. अतिक्रमित होता जा रहा गुरुद्वारा के मुख्य द्वार का रोड

5. अर्थ के अभाव से जूझ रहा गुरुद्वारा

सुझाव

1. सिख समुदाय की संरक्षा और सुरक्षा की मुकम्मल व्यवस्था हो

2. सिख समुदाय के विकास के लिए सरकार के स्तर पर पैकेज मिले

3. मुख्य रोड पर गुरुद्वारा मार्ग का बड़ा गेट बने

4. गुरुद्वारा की दुकानों से गुरुद्वाराश्री गुरु नानक सत्संग सभा को समय पर भाड़ा मिले

5. धार्मिक आयोजन में सर्वधर्म समभाव के तर्ज पर सभी समाज का सहयोग मिले

सुनें हमारी बात :

1. पूर्णिया के सिख समुदाय के परिवार के रोजगार के लिए सरकारी स्तर पर विशेष सुविधा होनी चाहिए ताकि सिख समाज अपने को समाज को बेहतर स्थिति में ला सके।

-संजीत सिंह।

2. हम लोग पूर्णिया में अल्पसंख्यक हो गए हैं। हमारी आने वाले पीढ़ी को ऐसी तालीम मिलनी चाहिए कि नौकरी में अच्छे-अच्छे ओहदे लेकर अपनी जगह बना सकें।

-सरदार संत सिंह।

3. हमें बचपन से इस तरह की शिक्षा दी जाती है कि पूरे समाज की देखभाल और रक्षा करनी है। हम लोग करते भी हैं लेकिन अब स्थिति ऐसी हो गई है कि हम लोग अपने को अकेला समझने लगे हैं।

-दलजीत सिंह लवली।

4. हमारे सिख समुदाय के युवा काफी संघर्षशील हैं यदि उन्हें काफी कम ब्याज दर पर सरकार की तरफ से वित्तीय सहयोग मिले तो पूर्णिया में व्यवसाय और उद्योग को एक नया आयाम देंगे।

-टिंकू सिंह।

5. गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सत्संग सभा एक ऐसा आध्यात्मिक केंद्र है जहां राही मुसाफिर के लिए ठिकाना है। अगर उसका विकास हो जाए तो कम खर्चे में रात रुकने वालों को सुविधा होगी।

-ज्ञानी हरजीत सिंह।

6. गुरुद्वारा में जितने भी आयोजन होते हैं, उनमें हम लोग अपने समाज से ही चंदा चिट्ठा कर व्यवस्था करते हैं। हमारी नीति साफ है। सभी समाज के लिए बराबर हैं।

-मंगलजीत सिंह।

7. पूर्णिया के सभी इच्छुक सिख परिवार के लिए अलग-अलग व्यवसाय करने के लिए यदि व्यवस्था हो जाती है तो हमारे समाज का कल्याण होगा।

-किशन सिंह।

8. हमें अपनी धरती से इतना लगाव है कि विषम परिस्थिति में भी हम लोगों ने अपनी जन्म स्थल को नहीं छोड़ा। पूर्णिया हमारा घर है। हमें मौका मिले तो पूर्णिया के नाम को रोशन करेंगे।

-रितेश मखीजा।

9. इस साल 12 अप्रैल से लेकर 14 अप्रैल तक बैसाखी पूजा है। इसे धूमधाम से मनाने के लिए हम लोग कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। पूर्णिया के सभी समाज से इसमें सहयोग की अपील है।

-गुरुवीर सिंह।

10. हमारे समाज में नई पीढ़ी के बच्चे अच्छी पढ़ाई करना चाहते हैं। उनके लिए अलग छात्रावास और अलग शिक्षण संस्थान खुले तो हमारा साहस और ज्यादा बढ़ेगा।

-तरसेम सिंह।

11. गुरुद्वाराश्री गुरु नानक सत्संग सभा एक विकासशील धार्मिक संस्था है। इसकी आंतरिक आय के स्रोत भी प्रभावित हैं। इसके विकास के लिए प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।

-सरदार प्रमोद सिंह, अधिवक्ता।

12. पूर्णिया से पलायन कर चुके सिख समुदाय के लोगों को पुनः पूर्णिया लाने का प्रयास किया जाना चाहिए और सरकार की ओर से उनकी सुरक्षा और संरक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए।

-बलमीत सिंह।

13. पूर्णिया का यही सिख समाज सभी आयोजनों में आगे रहता था लेकिन आज इतनी कम संख्या हो गई है कि भीड़ में हम लोग खो जाते हैं। इन्हें सामाजिक और राजनीतिक रूप से अच्छी जगह मिलनी चाहिए।

-वीणा सूद।

14. औद्योगिक क्षेत्र में हमारी भागीदारी अधिक से अधिक हो इसके लिए प्रशासन को सहयोग करने की जरूरत है क्योंकि हम लोगों की युवा पीढ़ी मेहनती और उद्यमी भी है।

-मन्नू सोढ़ी।

15. व्यवसाय हमारी जीविका का मुख्य साधन है और इसको लगातार आगे बढ़ाने के लिए हमारे जैसे युवाओं को प्रोत्साहन मिले तो इस समाज को काफी आगे बढ़ा देंगे।

-यश टहलानी।

16. जिस तरह से बांग्ला समाज के लिए बांग्ला स्कूल की स्थापना हुई है पूर्णिया में उसी तर्ज पर पंजाबी समाज की बेटियों के लिए स्कूल की स्थापना हो तो हमारे समाज की महिला शिक्षा काफी मजबूत हो जाएगी।

-प्रीति कौर।

17. उद्योग धंधों में अगर हमें सरकार की ओर से अपेक्षित सहयोग मिले तो हम आगे बढ़ेंगे और बाहर रह रहे हमारे समाज के लोगों को भरोसा होगा कि पूर्णिया हमारे लिए सोचता है।

-सुरेंद्र सिंह।

18. हमारी आबादी कम है। इसके बावजूद हम लोग मजबूत इरादे के साथ और संघर्ष के बल पर आगे बढ़ रहे हैं। इसमें समाज और प्रशासन के सहयोग की जरूरत है।

-ईशान टहलानी।

बहुसंख्यक समाज दें ‘दशवंत तो समस्याओं को हो जाये अंत

पूर्णिया। गुरु नानक देव जी ने दशवंत का पाठ पढ़ाया है। सिख सिद्धांतों के अनुसार आर्थिक रूप से ( दशमांश के रूप में) और सीधे सेवा के रूप में दान करना चाहिए। गुरु नानक देव की वंड छको और कीरत करो की अवधारणाओं में आता है। इस प्रथा का पालन गुरु अर्जन देव के काल में किया गया था और कई सिख आज भी इस प्रथा को जारी रखते हैं। सिखों का मानना ​​है कि कोई भी व्यक्ति दान में जो कुछ भी देता है, उसे भौतिक और आध्यात्मिक दोनों अर्थों में कई गुना लाभ मिलता है। पंजाबी समाज के लोग इसे मानते हुए अपनी आमदनी का दसवां हिस्सा गुरुघर को देते हैं। सिख समुदाय के लोगों का कहना है कि अगर बहुसंख्यक समाज के लोग अपना दशवंत देते हैं तो यहां की समस्या का अंत हो सकता है। इस राशि से गुरुद्वारा के अंदर और बाहर का सर्वांगीण विकास हो सकता है। बता दें कि देश का 255 साल पुराना पूर्णिया जिला सांप्रदायिक सौहार्द का मिशाल पेश करता है। यहां मंदिर, मस्जिद, चर्च के साथ गुरुद्वारे हैं। हिन्द के चादर गुरु तेग बहादुर जी पटना से सीमांचल के रास्ते ही असम रवाना हुए थे। इस दौरान उनके चरण पूर्णिया जिला (तभी दार्जलिंग तक पूर्णिया जिला था) की धरती पर भी पड़े। गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। माना जाता है कि उनकी शहादत दुनिया में मानव अधिकारियों के लिए पहली शहादत थी। इसलिए उन्हें सम्मान के साथ 'हिंद की चादर' कहा जाता है। धैर्य, वैराग्य और त्याग की मूर्ति गुरु तेग बहादुर ने 20 सालों तक साधना की थी। कटिहार के बरारी प्रखंड में 600 से अधिक सिख समाज के लोग हैं। यहां विशाल गुरुद्वारा भी है। इसके अलावा किशनगंज में भी शहर के बीचोबीच गुरुद्वारा है। पूर्णिया शहर के बीचोबीच गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सत्संग सभा है। यह सात दशक पुराना गुरुद्वारा है। गुरु घर में माथा टेकने के लिए सुबह शाम यहां श्रद्धालु आते हैं। बैसाखी के मौके पर यहां हजारों की संख्या में संगत आती है। इसमें पंजाबी समाज के अलावा बांकी समाज के लोग भी पहुंचते हैं। गुरुद्वारा की आय के स्त्रोत नहीं हैं। इसलिए सिख समाज के लोग बहुसंख्यक समाज से दशवंत की आस रखते हैं।

बोले जिम्मेदार

1. पूर्णिया के सिख समुदाय के विकास के लिए आवाज उठाई जाएगी। पूर्णिया का हर नागरिक हमारे लिए सम्मानित है। उनकी समस्या के समाधान के लिए हर तरह के प्रयास किए जाएंगे। जरूर पड़ी तो संसद में भी बात रखी जाएगी।

-राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव, सांसद, पूर्णिया।

2. सिख समुदाय के गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सत्संग सभा के विकास के लिए विचार किया जाएगा। मुख्य द्वार के आगे प्रवेश द्वार बनवाने की योजना बनाई जाएगी। धर्म स्थल की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। जल्द ही इसकी पहल की जाएगी।

-विजय खेमका, विधायक, पूर्णिया सदर।

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