बोले जमुई : सुरक्षा उपकरण व प्रशिक्षण मिले तो जीवन में भरेंगे रंग
जमुई में पेंटरों की आर्थिक स्थिति खराब है। उन्हें काम की कमी और कम मेहनताने का सामना करना पड़ता है। ऊँचाई पर काम करने के दौरान सुरक्षा की कमी भी एक बड़ा मुद्दा है। पेंटरों ने सरकार से सुरक्षा किट,...
रंगों से दुनिया खूबसूरत लगती है। रंग-बिरंगे घर शहर की सुंदरता बढ़ा देते हैं। पेंटर हमारे घरों व दीवारों को रंगों से सजा कर उसे सजीव बना देते हैं। लेकिन इन पेंटरों के जिंदगी काफी कुछ बेरंग नजर आती है। जिले में अधिकतर पेंटरों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। पेंटिंग एक कला है जिसे सीखने में मेहनत लगती है, समय लगता है। लेकिन काम की कमी और मेहनताने का कम होना परेशान करता है। आधुनिक परिस्थितियों में नई तकनीक का प्रशिक्षण नहीं मिलना भी परेशानी का सबब है। ऊंची बिल्डिंगों पर पेंट करने के दौरान खतरा भी बना रहता है। संवाद के दौरान जिले के पेंटरों ने अपनी समस्याएं बताईं। सरकार से प्रशिक्षण, सुरक्षा किट और योजनाओं का लाभ देने की मांग की।
02 हजार से अधिक पेंटर हैं जमुई शहर में
06 सौ से 900 रुपए मिलती है प्रतिदिन मजदूरी मजदूरी
04 से 05 मजदूर मिलकर एक जगह करते हैं काम
दीवारों पर किये गये रंग और कलाकारी मन मोह लेते हैं। इसे रंगने वाले पेंटर की भी अपनी समस्या है। संवाद के दौरान इन्होंने कहा कि आधुनिक दौर में पेंटरों की जगह आधुनिक मशीनों ने ले ली है। बड़े स्तर पर सरकारी परियोजनाओं में आसानी से पुताई का काम मिल जाया करता था। अब दीवारों को रंगने के लिए प्रशिक्षित पेंटरों को ही रोजगार मिलता है। जिले के सरकारी आवास एवं कार्यालय में मिथिला पेंटिंग व अन्य सामाजिक जानकारी देने हेतु पेंटिंग के लिए बाहर से गिने चुने प्रशिक्षित पेंटर को बुलाकर काम लिया जाता है। इस कारण यहां के पेंटरों को सिर्फ नए घर के गृह प्रवेश, दीवाली में घरों की रंगाई पुताई आदि कामों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे में अगर जिले भर के कारीगरों को प्रशासन द्वारा शिविर लगाकर प्रशिक्षित किया जाए तो इन्हें भी रोजगार मिलेगा।
रंगाई-पुताई एक मौसमी रोजगार है। आम तौर पर लोग शादी विवाह, गृह प्रवेश एवं दीवाली के साथ-साथ अन्य पर्व त्योहारों पर घरों की रंगाई एवं पुताई करवाते हैं। बाकी के कई महीने कुछ पेंटरों को रोजगार नहीं मिल पाता। ऐसे में इनके पास रोजगार की कमी से आर्थिक परेशानी उत्पन्न हो जाती है। कई पेंटरों को अपने रोजगार से विमुख होकर दूसरी मजदूरी तक करनी पड़ती है। क्योंकि पेंटरों का कोई फिक्स रोजगार नहीं होता। ये भी दिहाड़ी में मिलने वाले कामों पर ही निर्भर रहते हैं। इनके काम में जान का जोखिम भी बना रहता है। ऊंची इमारत की पुताई के लिए इन्हें बांस के सहारे ऊपर चढ़ना पड़ता है। दीवार की पुताई करनी होती है। इसके लिए प्रशिक्षण नहीं दिया जाता। साधारण क्षेत्रों में सुरक्षा मानकों का उपयोग ना के बराबर ही किया जाता है। ऐसे में इनके जान का संकट हर पल बना रहता है। जिले के पेंटरों ने प्रशासन से सुरक्षा किट और प्रशिक्षण की मांग की। पेंटरों ने सरकार से सस्ता ऋण देने की मांग की, ताकि बाहर से प्रशिक्षण लेकर अपना रोजगार शुरू कर सकें। साथ ही निबंधन करवाकर योजनाओं का लाभ देने की भी मांग की।
पेंट से स्वास्थ्य संबंधी समस्या का खतरा:
मकान पेंट करने वाले पेंटर को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। केमिकल पेंट के कारण कई तरह की बीमारियों का खतरा भी बना रहता है। इसके अलावा मकान पेंट करने में अब नई-नई तकनीक के आ जाने के कारण काम थोड़ा आसान तो हुआ है लेकिन ऊंची ऊंची बिल्डिंग में मकान पेंट करने वक्त काफी खतरा बना रहता है जो कि कभी भी नुकसान दे हो सकता है। पेंटर मकान के बाहर पेंट करने के लिए झूले का इस्तेमाल करते हैं जो कई बार दुर्घटना का कारण बनता है। ऊंची-ऊंची बिल्डिंग में पेंट करने के दौरान कई बार पेंटर दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं। मकान पेंट करने वाले तुना सिंह ने बताया कि पेंट करने के दौरान कई बार मकान मालिकों से निराशा मिलती है। राशि कम मिलती है, काम ज्यादा करना पड़ता है।
शिकायतें
1. ऊंचाई पर काम करने के बावजूद उनके पास पर्याप्त सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं होते हैं।
2. ठेकेदारों और बिचौलियों के कारण उन्हें उनकी मेहनत का उचित भुगतान नहीं मिल पाता।
3. पेंटरों को स्थाई काम नहीं मिलता जिससे जीवन में आर्थिक संकट बना रहता है।
4. जहरीले रसायनों के कारण त्वचा रोग, श्वसन संबंधी बीमारियां एवं अन्य स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं।
5. समाज में उनके कौशल और मेहनत को उचित सम्मान नहीं दिया जाता, मजदूर ही समझा जाता है।
समाधान
1. पेंटरों को कार्य स्थल पर सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराना और उनका उपयोग सुनिश्चित करवाना आवश्यक है।
2. पेंटरों के अधिकार की रक्षा के लिए प्रशासन द्वारा कानूनी सहायता प्रदान की जानी चाहिए।
3. पेंटरों के लिए स्थायी रोजगार और न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित होनी चाहिए।
4. पेंटरों के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच एवं और बीमा योजनाएं लागू करने की जरूरत है।
5. नए उपकरणों और पर्यावरण अनुकूलित तकनीक के उपयोग के लिए प्रशिक्षण देने की जरूरत है।
सुनें हमारी बात
बरसात और ठंड के मौसम में दीवारें गली या ठंडी होने के कारण पेंट नहीं टिकता। इससे पेंटिंग का काम लगभग बंद हो जाता है। जीवन यापन में कठिनाई होती है।
दिनेश राम
खुले में काम करते समय धूल और प्रदूषण, स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं। बारिश के दौरान कार्य स्थल पर दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है।
पंकज कुमार राम
मौसम के अनुसार काम को व्यवस्थित करने के लिए पेंटरों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। खराब मौसम में आई की कमी को पूरा करने के लिए भत्ता दिया जाए।
ललन मांझी
काम की अस्थिरता खत्म होनी चाहिए। साल भर काम मिलने की व्यवस्था हो। हमें ऐसे पेंट्स का उपयोग सिखाया जाए जो स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हो।
गोपाल कुमार
पेंटर एक बेहतर जीवन, सुरक्षा और सम्मान के हकदार हैं। हमारी कला की कद्र हो और हमें भी कलाकार का दर्जा मिले। ठेकेदारों के जंजाल में फंसकर आर्थिक क्षति होती है।
रविन्द्र कुमार
काम के दौरान चोट लगने पर मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाए। हमें त्योहार और विशेष अवसरों पर बोनस दिया जाए। हम भी सम्मान और बेहतर जीवन के हकदार हैं।
गोरेलाल राम
पेंट के जहरीले रसायन हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं। हमें गुणवत्तापूर्ण मास्क और दस्ताने दिए जाने चाहिए। पेंटर भी सम्मान और बेहतर जीवन के हकदार हैं।
लल्लू कुमार
उन्नत तकनीकी और पर्यावरण अनुकूलित पेंटिंग के उपयोग के लिए प्रशिक्षण दिया जाने की आवश्यकता है। आधुनिक उपकरण और सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
शशिकांत कुमार
मौसम के अनुसार काम को व्यवस्थित करने के लिए पेंटरों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाए। खराब मौसम में काम की कमी को पूरा करने के लिए भत्ता दिया जाए।
भूषण शर्मा
बड़े-बड़े प्लॉट में सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए जाते हैं लेकिन निजी बिल्डिंग में ऊंचाई पर काम करने के दौरान कोई सेफ्टी उपकरण नहीं मिलते। इस सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
विवेक कुमार
स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर पेंटरों के लिए कला प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाए। इन प्रदर्शनियों के माध्यम से उनकी पेंटिंग को खरीदारों तक पहुंचाया जाए।
उत्तम कुमार
पेंटरों के लिए सामुदायिक समूह बनाया जाए, जहां वे अपनी समस्याएं साझा कर सकें। समस्या का समाधान भी किया जाए। इससे तनाव कम करेगा और स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा।
चुनचुन राम
समय-समय पर कला मेला और प्रदर्शनी लगाई जाए। इससे हमारे काम को मजबूती मिलेगी, हमारी कला को भी एक नई पहचान मिलेगी। सरकार के राजस्व की बढ़ोतरी भी होगी।
संदीप कुमार
पेंट के जहरीले रसायन हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं। हमें गुणवत्तापूर्ण मास्क और दस्ताने दिए जाने चाहिए। सरकारी सहायता मिले। सरकार को भी पेंटरों पर ध्यान देना चाहिए।
अमित कुमार
पेंटरों के लिए योजना उद्योग विभाग में योजना बने। यह हमारी कला को सम्मानित करेगा, साथ ही आर्थिक और सामाजिक स्थिति में भी सुधार होगा।
जयराम मांझी
हमें न्यूनतम मजदूरी की गारंटी चाहिए। ठेकेदार अक्सर हमारे हिस्से का पैसा काट लेते हैं। ऊंचाई पर काम करने के दौरान सेफ्टी बेल्ट दिया जाए। यह हमारी जान बचाएगा।
छोटू कुमार
बोले जिम्मेदार
मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत सरकार सहायता दे रही है। इसके अलावा पीएमईजीपी योजना के तहत भी लाभ ले सकते हैं। पोर्टल पर आवेदन कभी भी कर सकते हैं। इसमें अनुदान भी देने का प्रावधान है। पेंटर विभाग में आकर सभी प्रकार की जानकारी लेकर योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।
-मितेश कुमार शाण्डिल्य, महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र, जमुई
बोले जमुई फॉलोअप
शिक्षकों को हाजिरी बनाने में अभी भी हो रही है परेशानी
जमुई। दूर-दराज क्षेत्रों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को अभी भी नेटवर्क की समस्या के कारण हाजिरी बनाने में परेशानी हो रही है। हाल के दिनों में जब एक घटना को लेकर दो दिनों तक इंटरनेट बंद हो गया था, उस समय शिक्षकों की किसी भी नेटवर्क पर हाजिरी नहीं बन पाई। इसे लेकर शिक्षक संघ नेताओं ने पदाधिकारी से उन दो दिनों की सभी शिक्षकों की उपस्थिति बनाने की मांग की है। शिक्षकों का कहना था कि उनकी मांगों पर पदाधिकारी व विभाग द्वारा समुचित विचार नहीं किया जा रहा है जिस कारण उन्हें ऐप पर उपस्थिति बनाने में परेशानी हो रही है। जिला मुख्यालय या वैसे क्षेत्र जहां पर नेटवर्क ठीक से कम कर रहा है वहां पर यह परेशानी नहीं है। मगर लक्ष्मीपुर, चकाई, बरहट व खैरा के सुदूर इलाकों में अभी भी विद्यालय के आसपास खास स्थान पर किसी प्रकार हाजिरी बनती है। कभी-कभी तो नेटवर्क पकड़ता ही नहीं है। इस कारण शिक्षक अभी भी परेशान हैं।
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