बोले भागलपुर: बैंककर्मियों के रिक्त पदों पर तत्काल बहाली हो
भागलपुर में बैंककर्मियों की स्थिति चिंताजनक है। नियमित बहाली न होने से काम का बोझ बढ़ गया है, जिससे स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है। बैंक अधिकारियों ने सुरक्षा की कमी और ऋण वसूली के दौरान ग्राहकों के...
देश या राज्य के विकास में बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर लोगों की पहुंच बैंकों तक हुई है। बैंक भी विकास कार्यों में भागीदार बन रहा है। बैंक से जुड़े संगठनों का कहना है कि नियमित बहाली नहीं होने से काम का लोड लगातार बढ़ता जा रहा है। इसका असर कामकाज के अलावा स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। बैंकों में पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था नहीं रहने से भी बैंककर्मियों में नाराजगी है। बैंककर्मियों का कहना है कि आए दिन आपराधिक घटनाएं हो रही हैं। ऋण वसूली के दौरान भी ग्राहकों के आक्रोश का सामना करना पड़ता है। सरकार को सख्त कानून बनाना चाहिए। बैंक भी विकास कार्यों में भागीदार बन रहा है, लेकिन बैंकों में काम करने वाले खुश नहीं हैं। बैंक से जुड़े संगठनों का कहना है कि काम का लोड लगातार बढ़ रहा है। इसका असर बैंक अधिकारी और कर्मियों के काम और स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। इसका मुख्य कारण रिटायर्ड कर्मियों की जगह पर नई बहाली का नहीं होना है। बैंक के अधिकारी और कर्मियों का बड़ा संगठन है युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन। भागलपुर जिले में करीब तीन हजार बैंक अधिकारी और कर्मचारी इससे जुड़े हुए हैं। जिले के राष्ट्रीयकृत बैंक और ग्रामीण बैंकों के कर्मी यूनियन से जुड़े हुए हैं। यूनियन के अनुसार जिले में बैंकों की 293 शाखाएं हैं। यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि बैंक प्रबंधन कर्मियों की उपेक्षा कर रहा है। बैंक अधिकारी और कर्मचारी अवकाश ग्रहण कर रहे हैं। उनकी जगह नई बहाली नहीं हो रही है। बैंककर्मी दबाव में काम कर रहे हैं। दूसरी तरफ बैंककर्मियों के हित में कोई कार्य प्रबंधन द्वारा नहीं किया जा रहा है। केन्द्र की अन्य संस्थानों में सप्ताह में पांच कार्य दिवस निर्धारित किया गया है। लेकिन बैंकों में दो शनिवार को छोड़ छह कार्य दिवस हैं।
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के जिला संयोजक अरविंद कुमार रामा ने कहा कि भागलपुर जिले में विकास के लिए बैंककर्मी सतत प्रयासरत हैं। लेकिन बैंककर्मियों के हितों की रक्षा प्रबंधन नहीं कर रहा है। जिले के हर पंचायत में राष्ट्रीयकृत बैंकों की शाखाएं खुलनी चाहिए। ताकि हर व्यक्ति की पहुंच बैंकों तक हो सके। किसानों को बैंकों द्वारा आर्थिक मदद मिले। सरकार उन्हें अनुदान दे तो बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा। जरूरत है कि सही तरीके से सरकारी योजनाओं को लागू किया जाए। बैंकों के विकास के लिए जरूरी है कि प्रबंधन पर्याप्त संख्या में सभी कैडर में बहाली करे एवं अस्थायी कर्मियों को स्थायी किया जाए। बैंक कर्मचारी एवं अधिकारी निदेशक के पदों को भरा जाए। ताकि बोर्ड के समक्ष निदेशक बैंककर्मियों की बातों को सही तरीके से रख सकें। 2014 के पहले यह पद भरा रहता था।
इंडियन बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव संजय कुमार लाठ ने कहा कि बैंक अधिकारी और कर्मचारियों की पर्याप्त संख्या में भर्ती नहीं हो रही है। काम का लोड बढ़ने के चलते बैंककर्मी अक्सर तनाव में रहते हैं। इसका असर स्वास्थ्य के अलावा पारिवारिक जीवन पर भी पड़ रहा है। पांच दिवस सप्ताह बैंकों में लागू होना चाहिए। आरबीआई, जीवन बीमा निगम, नाबार्ड एवं अन्य कई सरकारी उपक्रम सप्ताह के पांच दिवस कार्य करते है तो बैंककर्मियों के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है। बैंकों को पांच दिवस करने से बैंक कर्मचारी को तनाव से कुछ राहत जरूर मिलेगी। बैंक प्रबंधन के साथ इस मुद्दे पर सहमति बनी थी। लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है। भारत सरकार के अन्य संस्थानों में ग्रेच्युटी का 25 लाख रुपये प्रावधान है। लेकिन बैंककर्मियों को 20 लाख रुपये दिया जाता है।
भारतीय स्टेट बैंक अधिकारी संघ, भागलपुर के सचिव संत कुमार झा ने बताया कि बैंक अधिकारियों एवं कर्मचारियों को मिलने वाले सुविधाएं जैसे गृह ऋण, वाहन ऋण, शिक्षा ऋण, जो रियायत ब्याज दर पर प्राप्त होता है पर सरकार द्वारा टैक्स वसूली करना गलत है। अन्य सार्वजनिक क्षेत्रों की इकाई में भी यह सुविधाएं मिलती हैं जिनमें कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है। बैंकों के साथ यह भेदभाव क्यों किया जा रहा है। इस पर रोक लगाने की जरूरत है।
सुरक्षा के लिए बैंकों में हो गार्ड की तैनाती
भागलपुर। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के संयोजक अरविंद कुमार रामा ने बताया कि बैंकों में गार्ड की नियुक्ति होना अति आवश्यक है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के बैंक कर्मियों के मन में सुरक्षा की भावना बढ़ेगी और वे बेहतर ढंग से काम कर सकेंगे। कर्मचारी हमेशा बैंक के अंदर और बाहर सुरक्षा की कमी के कारण चिंतित रहते हैं। जिससे उनका काम भी प्रभावित होता है। सरकार को बैंक जैसे संवेदनशील जगह पर सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था करनी चाहिए। कभी भी ग्राहकों के खातों को फ्रीज करने से पहले उनको सूचित करना चाहिए। जिससे ग्राहकों को खाता अनफ्रीज कराने में अधिक परेशानी नहीं हो। ग्रेच्युटी की राशि की अधिकतम सीमा 20 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपये करना चाहिए।
बैंकों में पुरानी पेंशन योजना लागू हो
भागलपुर। इंडियन बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन बिहार झारखंड के महासचिव संजय कुमार लाठ ने बताया कि बैंकों में अधिकारियों और कर्मियों की काफी कमी है। जिसके चलते कार्यरत कर्मियों और अधिकारियों पर वर्क लोड काफी बढ़ गया है। सरकार द्वारा जरूरत के अनुसार बैंकर्मियों की बहाली करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि आरबीआई, एलआईसी, नाबार्ड समेत भारत सरकार के कई संस्थानों में पांच दिवसीय कार्यदिवस निर्धारित है। लेकिन बैंकों को इससे अलग रखा गया है। बैंकों में भी पांच दिवसीय कार्यदिवस घोषित होना चाहिए। वर्क लोड के कारण कई बार बैंककर्मी तनावग्रस्त हो जाते हैं। बैंककर्मियों का मुख्य कार्य पैसे का लेनदेन और व्यवसाय समेत अन्य मद में लोन उपलब्ध कराना है। लेकिन इसके अलावा भी कई तरह के कार्यों का अतिरिक्त भार आ गया है।
कई बार ग्राहकों के साथ हो जाता है विवाद
भागलपुर। बैंक ऑफ बड़ौदा के क्षेत्रीय सचिव कृष्ण कुमार ने बताया कि बैंकों के विलय के बाद बैंकों की शाखाओं का नहीं खुलना समाज और ग्राहकों के लिए काफी नुकसानदायक है। जिसका बोझ कर्मचारियों पर पड़ रहा है। बैंकों में अक्सर ग्राहकों के आक्रोश का सामना करना पड़ता है। नियमित बहाली नहीं होने से बैंककर्मियों पर काम का अतिरिक्त दबाव बढ़ गया है। सरकार को इन समस्याओं के निदान के लिए व्यवस्था करनी चाहिए। बैंकों में बहाली की प्रक्रिया को समय से पूरा करना चाहिए। ताकि क्षमता के अनुसार बैंकों में कर्मियों की नियुक्ति हो सके। बैंकों में सुरक्षा की बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि बैंककर्मी भयमुक्त होकर काम का निपटारा कर सकें।
बैंककर्मियों पर काम का बोझ बढ़ रहा है
भागलपुर। भारतीय स्टेट बैंक कर्मचारी संघ, भागलपुर के क्षेत्रीय सचिव अमन आनंद ने बताया कि काम का बोझ बढ़ने से व्यापार पर भी असर पड़ता है। देश के विकास कार्य में बैंकों का बड़ा योगदान है। एनपीए बड़ी समस्या बन गई है। ऋण की वसूली करने जाने पर कई बार ऋणधारकों के आक्रोश का सामना करना पड़ता है। सुरक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं होने पर काफी दिक्कत होती है। बैंकों के पास कार्रवाई करने के लिए कोई अधिकार नहीं होता है। सरकार द्वारा ऋण वसूली के साथ कार्य के दौरान बैंककर्मियों की सुरक्षा का विशेष ख्याल रखा जाना चहिए। बैंक में भी काम के दौरान कई बार ग्राहक उत्तेजित हो जाते हैं। बैंकों के साथ एटीएम की भी सुरक्षा के लिए सरकार और बैंक प्रबंधन को गार्ड की तैनाती करनी चाहिए।
इनकी भी सुनिए
बैंकर्स पर कार्य का अतिरिक्त दबाव होता है। जिससे काफी परेशानी होती है। कर्मियों की कमी और पर्याप्त मात्रा में बहाली नहीं होने से वर्कलोड बढ़ जाता है। सरकार को जरूरत के अनुसार कर्मियों की बहाली करनी चाहिए।
-अमर कुमार सिंह, डीजीएस बीओआई
बैंकर्मियों को स्टाफ होने के कारण कम ब्याज पर ऋण दिया जाता है। लेकिन उसपर टैक्स लिया जाता है, जिससे काफी आर्थिक नुकसान होता है। बैंककर्मियों के ऋण पर टैक्स की व्यवस्था समाप्त होनी चाहिए।
-अंबेस कुमार मंडल, अध्यक्ष एआईआईबीओए भागलपुर मंडल
बैंकों में काम की जरूरत के अनुसार पदाधिकारियों और कर्मचारियों की बहाली होनी चाहिए। लंबे समय से इसकी मांग की जा रही है। कर्मियों की संख्या कम रहने से काम का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। बैंक प्रबंधक को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
-पंकज कुमार रजक, आयोजन सचिव बीपीबीईओ
सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों में पांच दिवसीय कार्य दिवस की घोषणा होनी चाहिए। कार्यालय आने और वापस जाने का भी समय निर्धारित होना चाहिए। काम के अतिरिक्त दबाव के कारण स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
-राजकुमार, कोषाघ्यक्ष एआईपीएनबीओए
बैंकों की बकाया राशि के रिकवरी के लिए जाने पर कुछ लोगों द्वारा गलत व्यवहार किया जाता है। बैंकर्मियों के साथ सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं रहती है। ऋण वसूली के लिए बैंककर्मियों के साथ सुरक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए।
-सुनील कुमार शर्मा, मंडल सचिव एआईपीएनबीओए
बैंककर्मियों को मिलने वाली सुविधाओं पर टैक्स नहीं लगना चाहिए। दूसरे विभागों में कर्मियों को मिलने वाली सुविधाओं पर टैक्स नहीं लगता है। बैंकों में पार्किंग की सुविधा नहीं होने से सड़क पर खड़ी गाड़ियों की कई बार चोरी हो जाती है।
-सुनील चंद्र पाठक, डिप्टी जेनरल सेक्रेटरी बैंक ऑफ इंडिया
गार्ड की नियुक्ति से न केवल बैंकों की सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि ग्राहकों का विश्वास भी बढ़ेगा। यह नियुक्ति बैंकिंग सेवाओं को और भी सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने में मदद करेगी। बैंककर्मियों को बैंक द्वारा दिये जाने वाले कल्याणकारी लाभ पर टैक्स नहीं लगना चाहिए।
-शुभम, यूको बैंक जोनल कार्यालय, आईबीओसी
बैंक में गार्ड की बेहतर व्यवस्था नहीं है। गार्ड के रिटायर होने के बाद नई बहाली नहीं की गई है। जिसके कारण सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित होती है। सरकार को विशेष ध्यान देकर सभी बैंकों में गार्ड की बहाली करनी चाहिए।
-नंदकिशोर अग्रवाल, कोषाध्यक्ष बीपीबीईए
बैंकों के अंदर ग्राहकों को लोन देने का काफी दबाव रहता है। जिसके कारण कार्य की गुणवत्ता प्रभावित होती है। कई बार बैंक में काम करने के दौरान ग्राहकों के आक्रोश का सामना करना पड़ता है। सभी बैंकों में गार्ड की व्यवस्था होनी चाहिए।
-सुमित आनंद, सर्किल प्रेसीडेंट एआईपीएनबीओए
सरकार को बैंककर्मियों की नौकरी की सुरक्षा को प्रभावित करने वाले कानून को वापस लेना चाहिए। ऐसी व्यवस्था का असर बैंककर्मियों के कामकाज पर पड़ता है। बैंकों में कर्मियों के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए।
-कुमार अनुराज, सहायक जोनल सचिव, आईबीओए
बैंक में काम करने के दौरान कई बार ग्राहकों द्वारा बैंककर्मियों एवं अधिकारियों के साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है। इसपर रोक लगाने के लिए बैंकों में विशेष सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिए। इससे बैंककर्मी बेहतर काम कर पायेंगे।
-एपी सिंह, अध्यक्ष पीएनबी बीपीबीईए
बैंकों के अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करना चाहिए। ग्रेच्युटी एक्ट में सुधार कर अधिकतम राशि 20 लाख से बढ़ाकर 25 लाख तक की जानी चाहिए। इसे आयकर से भी बाहर रखा जाना चाहिए। इससे बैंककर्मियों को राहत मिलेगी।
-बसंत कुमार झा, सचिव एसबीआईओए
समस्याएं
1. बैंककर्मियों की नियमित बहाली नहीं हो रही।
2. बैंककर्मियों की सुरक्षा की बेहतर व्यवस्था नहीं।
3. बैंक अधिकारियों की ड्यूटी की समय सीमा तय नहीं।
4. बैंककर्मियों की कमी से काम का बोझ बढ़ रहा।
5. बैंकों में दो शनिवार छोड़ छह दिन कार्यदिवस।
सुझाव
1. बैंकों में रिक्त पदों पर तत्काल बहाली हो।
2. बैंक पदाधिकारियों के काम का समय सीमा तय हो।
3. पुरानी पेंशन योजना को लागू किया जाए।
4. पांच दिवसीय कार्य दिवस की व्यवस्था हो।
5. बैंकों में सुरक्षा के लिए गार्ड की तैनाती हो।
बैंक और कर्मियों की सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था हो
भागलपुर। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि आए दिन बैंकों में आपराधिक घटनाएं हो रही हैं। बैंक के अधिकारी और कर्मियों को भय के माहौल में काम करना पड़ता है। बैंकों में सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि बैंककर्मी निर्भीक होकर काम कर सकें।
भारतीय स्टेट बैंक कर्मचारी संघ, भागलपुर के क्षेत्रीय सचिव अमन आनंद ने बताया कि बैंकों में सुरक्षा एक अहम मुद्दा है। आए दिन बैंक में लूट की घटनाएं हो रही हैं। दबंग ग्राहकों द्वारा बैंक कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार की घटना सुनने को मिलती है। ऋण वसूली में गए बैंक कर्मियों से ग्राहकों द्वारा मारपीट करने की घटना आम हो चुकी है। बैंक प्रबंधन ऋण वसूली के लिए दबाव बनाता है। वहीं ऋण धारक वसूली करने गये बैंककर्मियों के साथ कभी-कभी दुर्व्यवहार होने लगता है। इसके लिए सरकार को कड़ा कानून बनाना चाहिए। अगर क्षमता रहने के बावजूद ऋणधारक ऋण नहीं देते हैं तो कानून के तहत वैसे लोगों के विरुद्ध कार्रवाई हो सके। यह बैंकों में एक नई ऊर्जा एवं बैंक के बढ़ते हुए एनपीए की समस्या की रोकथाम के लिए अत्यंत आवश्यक है। बैंक एवं सरकार की यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि बैंक कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए एक कड़ा कानून बनाए। युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के संयोजक ने कहा कि बैंकों में गार्ड की बहाली नहीं हो रही है। बैंककर्मियों की सुरक्षा के लिए बैंक का गार्ड होना जरूरी है। उन्होंने बताया कि बैंक अधिकारियों के काम करने का कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है। देर शाम तक बैंक के कामों को निपटाना पड़ता है। इसके चलते बैंक अधिकारी बीमार पड़ जाते हैं। कई बैंक अधिकारी तनाव में शुगर और बीपी के मरीज हो जाते हैं। बैंक कर्मियों के 55 तथा 57 साल के उम्र में परफार्मेंस देखने की बात कही जा रही है। परफार्ममेंस ठीक नहीं रहने पर हटाया जा सकता है। ऐसे नियमों पर रोक लगाने की जरूरत है। बैंककर्मियों ने कहा कि सरकार पुरानी पेंशन नीति को लागू करे। भागलपुर से हवाई सेवा जल्द शुरू की जाए। दूसरे शहरों से आकर भी अधिकारी बैंकों में नौकरी कर रहे हैं। हवाई सेवा शुरू होने से कम समय में आने-जाने में सुविधा होगी। भागलपुर पुराना जिला है। यहां बड़े-बड़े उद्योग लगने चाहिए। ताकि क्षेत्र का विकास हो सके। महिला बैंककर्मियों को समय पर ड्यूटी छोड़ने की व्यवस्था होनी चाहिए। बैंक ऑफ बड़ौदा के कृष्ण कुमार ने कहा कि बैंक विलय के बाद शाखाएं बंद हुई। लेकिन वह पुन: नहीं खुली। ग्राहकों को सर्विस चार्ज अधिक लग रहा है। उसे बंद करना चाहिए।
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