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खगड़िया: सुदर्शन क्रिया करने से आनंद एवं शांति की होती है अनुभूति : विजयेंद्र

खगड़िया में आर्ट ऑफ लिविंग के प्रशिक्षक विजयेंद्र ने बताया कि स्वस्थ मन और तन सुदर्शन क्रिया से संभव हैं। 22 फरवरी से तेलिहार पंचायत में आयोजित चार दिवसीय आनंद अनुभूति शिविर में प्रतिभागियों ने अपने...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSun, 23 Feb 2025 05:19 PM
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खगड़िया: सुदर्शन क्रिया करने से आनंद एवं शांति की होती है अनुभूति : विजयेंद्र

खगड़िया, एक प्रतिनिधि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का निवास होता है और स्वस्थ मन से हीं सुंदर समाज का निर्माण होता है। स्वस्थ एवं सुंदर समाज निर्माण में समाज के जिम्मेदार लोगों की भूमिका हीं महत्वपूर्ण है। स्वस्थ मन एवं स्वस्थ तन सुदर्शन क्रिया करने से सहजता से संभव है। सुदर्शन क्रिया करने से आनंद एवं शांति की अनुभूति होती है। यह बातें आर्ट ऑफ लिविंग के प्रशिक्षक श्री विजयेंद्र ने बेलदौर प्रखंड अंतर्गत तेलिहार पंचायत में चार दिवसीय आनंद अनुभूति शिविर के अंतिम दिन उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा। उल्लेखनीय है कि 22 फरवरी से बेलदौर प्रखंड स्थित तेलिहार पंचायत में समाजसेवी परमानंद सिंह एवं परबत्ता प्रखंड के कन्हैयाचक गांव में समाजसेवी श्रवण चौधरी की अगुवाई में आनंद अनुभूति शिविर का आयोजन किया गया। कन्हैयाचक में आनंद अनुभूति शिविर के अंतिम दिन प्रशिक्षक निशांत कुमार ने शिविर में भाग ले रहे प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि समाज में व्याप्त विसंगतियों की एवं कुरीतियों को समाप्त करने के लिए समाज के हीं प्रबुद्ध लोगों को आगे आना होगा। इस कुरीतियों को कोई अल्लाह या ईश्वर समाप्त नहीं करेंगे। समापन के कार्यक्रम एवं उपस्थित प्रशिक्षक नागेंद्र सिंह त्यागी ने कहा कि वैश्विक मानवतावादी आध्यात्मिक गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी खगड़िया की धरती पर नौ मार्च को सुबह नौ बजे दिन में पधार रहे हैं। क्योंकि गुरुदेव पूरी दुनियां में सनातनी या हिंदू धर्मालंबी इसकी सिर्फ पूजा पद्धति की बात नहीं करते, बल्कि मानव मूल्य एवं मानवता की रक्षा कैसे होगा, इसका तकनीक बताते हैं। इसलिए इस वाहन सत्संग एवं संवाद कार्यक्रम हर धर्म एवं संप्रदाय के श्रद्धालु शामिल होकर गुरुदेव से संवाद कर लाभ उठाएंगे। शिविर के अंतिम दिन प्रतिभागी विजय कुमार झा, रवि शंकर कुमार, रणजीत सिंह, अशोक सिंह, पार्वती, अखिलेश्वर चौधरी, रामबालक, मनीष कुमार, निवास सिंह, इंद्रदेव सिंह, पिंकी देवी ने अपने चार दिवसीय शिविर के अनुभूति को सजा करते हुए कहा कि शिविर के प्रारंभ में हमलोगों के मन में शिविर को लेकर विभिन्न विभिन्न तरह के भ्रांति थी लेकिन इस शिविर के चार दिन में जो अनुभूति हुई। वह अब तक के जीवन में कभी नहीं हुआ था। भाग लेने के बाद एहसास हुआ कि यह शिविर व्यक्ति के खुद के विकास एवं स्वस्थ जीवन जीने के कला को सिखाती है। शिविर के अंतिम दिन ग्रामीणों के साथ सत्संग का भी आयोजन किया गया।

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