शिलान्यास के एक वर्ष बाद भी एक्सप्रेस-वे का निर्माण शुरू नहीं
उत्तर प्रदेश के चंदौली में वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास 23 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री द्वारा किया गया था, लेकिन एक वर्ष बाद भी निर्माण शुरू नहीं हुआ है। किसान मुआवजे की मांग को लेकर...

उत्तर प्रदेश के चंदौली से 23 फरवरी 2024 को वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेस-वे का प्रधानमंत्री रिमोट से किए थे शिलान्यास प्रथम फेज पर खर्च के लिए 1317 करोड़ रुपए की जारी की गई थी राशि कैमूर के 93 मौजा से गुजरेगी 52 किलोमीटर लंबी सिक्सलेन एक्सपे्रस-वे (पेज चार की बॉटम खबर) भभुआ, कार्यालय संवाददाता। शिलान्यास किए जाने के एक वर्ष बाद भी कैमूर जिले में वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेस-वे का निर्माण शुरू नहीं हो सका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 फरवरी 2024 को यूपी के चंदौली से रिमोट दबाकर शिलान्यास किए थे। इस दौरान भारत माला परियोजना के तहत निर्माण होनेवाली सिक्सलेन एक्सप्रेस-वे पर खर्च करने के लिए प्रथम चरण की राशि 1317 करोड़ निर्गत किए गए थे। किसान संघर्ष मोर्चा के बैनर तक प्रभावित किसान चैनपुर के मसोई स्थित निर्माण कंपनी के बेस कैंप के पास महीनों से धरना दे रहे हैं। किसान संघर्ष मोर्चा के जिलाध्यक्ष विमलेश पांडेय व भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष अभिमन्यु सिंह का कहना है कि 1.28 करोड़ रुपए प्रति एकड़ मुआवजा मिलना चाहिए। हालांकि सरकार निर्धारित भूमि मूल्य से चार गुना अधिक दे रही है। किसान अपनी मांग पर अड़े हैं। इस कारण जिला प्रशासन द्वारा आयोजित शिविर में अधिकतर रैयत अपनी जमीन का दस्तावेज जमा नहीं कर रहे हैं। हालांकि इसके निर्माण हो जाने से यात्रियों का सफर आसान हो जाएगा और कम समय में यात्रा पूरी कर सकेंगे। मालवाहक वाहन भी समय से अपने गंतव्य स्थानों पर पहुंच जाएगा। इस पथ के निर्माण होने से यूपी, बिहार, झारखंड और बंगाल के बीच कनेक्टिविटी होगी। जानकार बताते हैं कि काशी-कोलकाता एक्सप्रेस-वे बिहार के कैमूर जिले में सबसे लंबी बनेगी। कैमूर में इस पथ की लंबाई 52 किलोमीटर होगी, जबकि रोहतास में 36 किलोमीटर, औरंगाबाद में 38 किलोमीटर, गया में 33 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण होगा। यूपी के चंदौली जिले के साथ-साथ औरंगाबाद, कैमूर, रोहतास, रांची, बोकारो, पुरुलिया को अच्छी कनेक्टिविटी मिलेगी। यह सड़क कैमूर-रोहतास के दक्षिणवर्ती इलाकों से गुजरेगी। यूपी से चांद में प्रवेश करेगी एक्सप्रेस-वे यूपी से आनेवाली गंगा एक्सप्रेस-वे चांद की सीमा शहबाजपुर से प्रवेश करेगी। फिर चैनपुर, भगवानपुर, भभुआ से होते हुए रामपुर के रास्ते रोहतास जिले के चेनारी में प्रवेश करेगी। रामपुर प्रखंड के निसिझा, इटवा, अकोढ़ी, बसिनी, गंगापुर, चमरियांव, दुबौली, पसाईं, बसुहारी, सोनारा, पछहरा, ठकुरहट, सबार आदि गांवों के अलावा जिले के 93 मौजा से एक्सप्रेस-वे गुजरेगी। कैमूर से होकर गुजरने वाली वाराणसी रांची कोलकाता एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य की मॉनिटरिंग एनएचएआई की टीम करेगी। पहाड़ी क्षेत्र के विकास को मिलेगी गति कैमूर के पहाड़ी क्षेत्र से गंगा एक्सप्रेस-वे के गुजरने से वहां निवास करने वाली आबादी को लाभ मिलेगा। व्यापार की दृष्टि से इस पथ को फायदेमंद बताया जा रहा है। सबार थाना क्षेत्र से जुड़े अधिकांश गांव के लोगों को खरीद-बिक्री करने व बीमार लोगों का इलाज कराने चेनारी जाना होता है। हालांकि पहले से भी पथ उपलब्ध है। लेकिन, कुछ ऐसे भी गांव है, जहां से ग्रामीणों को पैदल चलकर मुख्य सड़क पर आना पड़ता है। खैर, यह पथ जिले के विकास को गति देगा। काम का अवसर मिलेगा व भूमि की कीमत बढ़ेगी भारत माला परियोजना से निर्माण होनेवाली बनारस-रांची-कोलकाता एक्सप्रेस-वे से कई तरह के लाभ मिलेंगे। इस पथ में पेट्रोल पंप, होटल, ढाबा, वाहन स्टॉप के पास दुकानें आदि खुल सकती हैं, जिससे स्थानीय लोगों को लाभ मिलेगा। इसके अलावा जिस इलाके से एक्सप्रेस-वे का निर्माण होगा, उसके आसपास की जमीन की कीमत बढ़ जाएगी, जिससे किसानों को लाभ होगा। इससे उन्हें व्यवसायिक दर मिल सकती है। फोटो- 24 फरवरी भभुआ- 4 कैप्शन- रामपुर प्रखंड के इसी करिगाई गांव के इस मौजा से होकर गुजरेगी एक्सप्रेस-वे।
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