गरमा मौसम की सब्जी बुवाई के लिए करें खेत तैयार: कृषि वैज्ञानिक
ईख की बुवाई के लिए भी उपयुक्त है समय... ग्रामीण कृषि मौसम सेवा, डा.आर.पी.सी.ए.यू, पूसा, समस्तीपुर एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग के सहयोग से अगले
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सिंघौल, निज संवाददाता। पिछले सप्ताह मौसम में बदलाव के बाद एक बार फिर तापमान सामान्य हो चला है। सिर्फ सुबह शाम ठंड का अनुभव हो रहा है। हालांकि तेज पछुआ हवा के कारण कमरों में कुछ सिहरन महसूस की जा रही है। ग्रामीण कृषि मौसम सेवा, डा.आर.पी.सी.ए.यू, पूसा, समस्तीपुर एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग के सहयोग से अगले चार दिनों के लिए जारी मौसम पूर्वानुमान में उत्तर बिहार के जिलों में आसमान में हल्के बादल आ सकते हैं। हालांकि मौसम के शुष्क रहने का अनुमान है। इस अवधि में अधिकतम तापमान 24 से 26 डिग्री सेल्सियस एवं न्यूनतम तापमान 9 से 12 डिग्री सेल्सियस के बीच बने रहने का अनुमान है। इसके साथ ही लगातार पछिया हवा नौ से 15 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने की संभावना है। सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 75 से 95 प्रतिशत तथा दोपहर में 60 से 65 प्रतिशत रहने की संभावना है। किसानों के लिए समसामयिक सुझाव मौजूदा मौसम को देखते हुए पूसा स्थित कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की ओर से किसान भाइयों के लिए समसामयिक सुझाव जारी किए गए हैं। इसके अनुसार गरमा मौसम की सब्जियों की बुआई के लिए जिन किसान भाईयों की खेत की तैयारी हो चुकी है, बुआई शुरु कर सकते हैं तथा जिन किसानों का खेत तैयार नहीं है वैसे किसान भाई खेतों की तैयारी जल्दी करें। 150-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर खाद की मात्रा पूरे खेत में अच्छी प्रकार विखेरकर मिला दें। कजरा (कटुआ) पिल्लू से होने वाले नुकसान से बचाव हेतु खेत की जुताई में क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी दवा का 2 लीटर प्रति एकड़ की दर से 20-30 किलो बालू में मिलाकर व्यवहार करें। सब्जियों में निकाई-गुडाई करें। मौसम साफ एवं शुष्क की सम्भावना को देखते हुए किसान भाई हल्दी, ओल की तैयार फसलों की खुदाई एवं जिन किसान भाइयों की राई सरसों की फसल तैयार हो गयी हो उसकी कटाई कर सकते है तथा समय से बोयी गयी गेहूं की फसल जो गाभा की अवस्था में आ गयी हो उसमें सिंचाई कर 30 किलोग्राम नेत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से उपरिवेशन करें। बसन्तकालीन ईख एवं शकरकन्द की बुआई के लिए खेत की तैयारी करें। अक्टूबर-नवम्बर महीनों में रोपी गई ईख की फसल में हल्की सिंचाई करें। जो किसान भाई ईख लगाना चाहते हैं, खेत की तैयारी कर बुआई शुरु कर सकते हैं। वहीं पिछाल बोयी गई गेहूं की फसल में जिंक की कमी के लक्षण (गेहूँ के पौधों का रंग हल्का पीला हो जाना) दिखाई दें रहे हो तो 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट, 1.25 किलोग्राम बुझा हुआ चुना एवं 12.5 किलोग्राम युरिया को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से 15 दिन के अन्तराल पर दो बार छिड़काव आसमान साफ रहने पर करें। दीमक कीट का प्रकोप फसल में दिखाई देने पर बचाव हेतु क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी दवा का 2 लीटर प्रति एकड़ की दर से 20-30 किलो बालू में मिलाकर खड़ी फसलों में समान रूप से व्यवहार करें।
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