वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए रिसर्च को बढ़ावा देना जरूरी
लीड युवा पेज:::::::::: या हिस्सा कॉन्फ्रेंस में आठ शिक्षक व छात्रों के शोध पत्र के लिए किया गया सम्मानित फोटो नंबर: 12, जीडी कॉलेज
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बेगूसराय, हमारे प्रतिनिधि। जीडी कॉलेज में मल्टीडिसिप्लीनरी इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में 400 शोधपत्र प्रस्तुत किये गये। इसके साथ ही दो दिवसीय रविवार को जीडी कॉलेज में इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस समाप्त हो गया। इसमें बेस्ट शोधपत्र के लिए मंझौल कॉलेज के एसोशिएट प्राध्यापक प्रो. कृष्ण कुमार पासवान, एलएनएमयू के रिसर्च स्कोलर पुरुषोत्तम कुमार, मगध यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कोलर रमेंद्र कुमार सिन्हा, जीडी कॉलेज के डॉ. कुंदन कुमार, जीडी कॉलेज की भौतिकी विभाग के डॉ. प्रीतम कुमार, जीडी कॉलेज की जूलॉजी विभाग की प्रीति कुमारी, पश्चिम बंगाल से आये देवाजीत दास व रिसर्च स्कोलर आदित्य अरमान को बेहतर शोधपत्र के लिए सम्मानित किया गया। पाटलिपु्त्र यूनिवर्सिटी के प्रो वीसी डॉ. गणेश महतो ने कहा कि कार्यक्रम बहुत ही शानदार रहा। यहां के शिक्षकों ने कार्यक्रम की सफलता के लिए काफी मेहनत की। प्रतिभागियों की उपस्थिति भी अच्छी रही। उन्होंने अपने संबोधन में गणित के कैलकुलेशन से गीता के सार को समझाया। उन्होंने कहा कि गीता का सार कर्म ही स्वर्ग है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार का संकल्प है कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाया जाय। इसके मद्देनजर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाई गई है। पहले किसी खास विषय पर आधारित राष्ट्रीय स्तर के कॉन्फ्रेंस होते रहे हैं। लेकिन, बेगूसराय में अंतरराष्ट्रीय स्तर का इस तरह का कार्यक्रम वाकई सराहनीय है। रिसर्च के कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किये जाने की जरूरत जीडी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रामावधेश कुमार ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति का अंदाजा वहां के शोध कार्यक्रम की गतिविधियों स होता है। हिन्दुस्तान बड़ा देश है। यहां युवाओं की जनसंख्या भी अधिक है। संसाधन भी हैं। रिसर्च के कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किये जाने की जरूरत है। तब हमारे राष्ट्र को विकसित होने से कोई रोक नहीं सकता है। अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो. कमलेश कुमार ने कहा कि बेगूसराय में इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन होने से रिसर्च को लेकर विद्यार्थी प्रोत्साहित होंगे। यों तो अंतराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम के मुताबिक अन्य राष्ट्रों से प्रतिभागियों की संख्या कम रही। लेकिन, यह अभिनव प्रयास था। यह बेगूसराय के लिए सफलता मानी जाएगी। कहा कि यह पहल जड़ता की जमीन को तोड़ने की कोशिश है। एक ही मंच पर अलग-अलग विषयों का रिसर्च पेपर प्रस्तुत करना नई पहल है। यह देखकर शानदार अनुभव हुआ। जीडी कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अंजनी कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कहा कि इस कार्यक्रम में शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के अलावा एनसीस, एनएसएस, छात्र संगठनों की भी बड़ी भूमिका रही। मौके पर डॉ. भूपेंद्रनारायण, डॉ. शशिकांत पांडेय, डॉ. कुंदन कुमार, डॉ. अशोक यादव, प्रो. अभिषेक कुंदन, प्रो. अरमान आनंद, शिक्षकेत्तर कर्मी कामेश्वर प्रसाद, कल्याणेश अग्रवाल, अजीत भारती व अन्य थे। प्रतिभागियों ने की कार्यक्रम की सराहना बेगूसराय, हमारे प्रतिनिधि। मुंगेर विश्वविद्यालय मुंगेर के रिसर्च स्कॉलर राजनीति विज्ञान के शोधार्थी बेगूसराय निवासी रवि कुमार ने कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में गौरवशाली इतिहास को दोहराया गया। आज पूरे विश्व में या कॉन्फ्रेंस बेगूसराय का डंका बज रहा है। इस कार्यक्रम में तिलका मांझी विश्वविद्यालय से आए शोधार्थी मनीष कुमार, शोधार्थी विक्की आनंद आदि ने भी कार्यक्रम को शानदार बताया। इधर, बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर वाणिज्य विभाग के शोध के छात्र ब्रजेश कुमार ने माखाना प्रसंस्करण की दक्षता बढाने और श्रम लागत कम करने तथा किसानों के आय मे वृद्धि के संदर्भ मे शोध प्रस्तुत किया। भारत के कुल माखाना उत्पादन का 85 से 90 प्रतिशत उत्पादन बिहार में होता है। बिहार के मिथिलांचल, सीमांचल एवं कोसी में मखाना की खेती होती है। मखाना बोर्ड की स्थापना होने से किसान एफपीओ के माध्यम से सीधा विदेश से व्यापार कर सकेंगे तथा खुद निर्यात कर अधिक से अधिक लाभ कमा सकेंगे
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