सत्संग से दूर होता है मन का मैल: आचार्य प्रमोद जी महाराज
बछवाड़ा में श्रीमद्भागवत कथा के समापन पर आचार्य प्रमोद जी ने कहा कि हमारी संस्कृति को भौतिकता की चकाचौंध में नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने बताया कि धर्म और सत्संग से जीवन को सुंदर बनाया जा सकता है। कथा के...

बछवाड़ा, निज संवाददाता। हमारी जिंदगी अच्छे रंग से नहीं, अच्छे ढंग से बनती है। आज हम भौतिकता की चकाचौंध में अपने जीने के ढंग से दूर हो रहे हैं। हमारा खान-पान, पहनावा-ओढाबा तेजी से बदल रहा है। हम अपनी संस्कृति को भूल रहे हैं। तन को साफ दिखाने के साथ अपने मन को मैला कर रहे हैं। मन का मैल धोने के लिए सत्संग जरूरी है। ये बातें हादीपुर गांव में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के समापन पर शुक्रवार की शाम कथावाचक आचार्य प्रमोद जी महाराज ने प्रवचन में कही। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म ही एक ऐसा धर्म है, जो सभी जीव- जंतुओं सहित विश्व का कल्याण चाहता है। वेद- पुराण की बातों को सिर्फ सुन भर लेने से कुछ नहीं होता है, अपितु उसे अपने चरित्र में भी उतारना होता है। मौन रहिये या ऐसी बातें कीजिये जो मौन रहने से बेहतर हो। उपलब्ध साधनों में ही जीवन को श्रेष्ठ और सुंदर बनाएं। गुस्सा, अहंकार, स्वार्थ, ईर्ष्या-द्वेष हमारे जीवन को पतन की राह पर ले जाते हैं। कथा की समाप्ति के बाद विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। आयोजक अमरजीत साहू ने कथावाचक समेत सभी पुरोहितों को अंग वस्त्र से विदाई सम्मान किया। प्रबंधन समिति के अध्यक्ष रामोदय सिंह की देखरेख में विकास मिश्रा, विक्की सिंह, विवेक सिंह, मृत्युंजय मिश्रा आदि श्रद्धालुओं की सेवा में तत्पर दिखे।
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