मंदार स्थित काशी विश्वनाथ लिंग स्वयं शिव के हाथों हुआ था स्थापित
पेज चार की लीडपेज चार की लीड बैद्यनाथ धाम बासुकीनाथ एवं मंदार काशी विश्वनाथ को मिलाकर बनता है त्रिलिंग क्षेत्र महाशिवरात्रि पर त्रिलिंग की
बौंसी,निज संवाददाता। बांका जिले में मंदार पर्वत बिहार का प्रसिद्ध तीर्थस्थली है जिसे सरकार ने पर्यटन स्थली के रूप में विकसित किया है। मंदार पर्वत के शिखर पर काशी विश्वनाथ स्थापित हैं। मंदार स्थित काशी विश्वनाथ, बासुकिधाम में नागेश्वर और देवघर में रावणेश्वर बैद्यनाथ के मध्य क्षेत्र को त्रिलिंग क्षेत्र कहा जाता है। मान्यता है किइन तीनों शिवलिंगों पर गंगाजल चढ़ाने से जन्म जन्मांतर के कष्ट दूर हो जाते है। खासकर महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान काशी विश्वनाथ मंदिर में आस्थावान श्रद्धालुओं की भारी संख्या में भीड़ जुटी है और पूरे विधि विधान पूर्वक श्रद्धालु भगवान काशी विश्वनाथ मंदार में पूजा अर्चना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में शिवरात्रि के अवसर पर पूजा करने से लोगों के मनोवांछित फल प्राप्त होते है। श्यामाचरण विद्यापीठ के प्रोफेसर चंद्रशेखर उपाध्याय ने बताया कि मंदार स्थित काशी विश्वनाथ की कथा है कि जब सती की इच्छा पर शिव ने अपने त्रिशूल पर काशी नगरी का निर्माण कराया और भक्ति वरदान के कारण दिवोदास को काशी नगरी दान मे दे दी और महादेव ने मंदार पर निवास करना स्वीकार किया। महाशिवरात्रि पर मंदार शिव भक्तों का आस्था का केंद्र बन जाता है। शिवभक्त के आस्था की यह स्थली मंदार में प्रतिवर्ष आकर यहां पूजा करते हैं। देवभूमि मंदार के अवशेषों, सदियों पुरानी संस्कृति व पुरातात्विक धरोहरों को सहेज कर रखने के प्रति प्रशासन कतई गंभीर नहीं है। पौराणिक महत्व को समेटे अनमोल खजाना साल दर साल बिखरते जा रहे हैं जिसे बचाने की कवायद नहीं की जा रही है। पर्वत के शिखर पर अवस्थित काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है । उपेक्षा की वजह से यहां की मूर्तियां धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो रही है। कई प्रतिमाओं कि चोरी भी हुई है उसमें से कई दुर्लभ प्रतिमा है जिनमें शिव पार्वती सहित अन्य यहां से गायब हो गई हैं जिनका आज तक कुछ पता नहीं चल पाया है।
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