डेढ़ वर्ष बाद भी नहीं बना बहोरना पुल, हजारों लोगों को हो रही परेशानी
बोले बांकाबोले बांका प्रस्तुति- मुकेश कुमार सिंह फुल्लीडुमर (बांका), निज प्रतिनिधि। बांका जिले के खेसर-तारापुर मार्ग पर बहोरना गांव
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प्रस्तुति- मुकेश कुमार सिंह फुल्लीडुमर (बांका), निज प्रतिनिधि।
बांका जिले के खेसर-तारापुर मार्ग पर बहोरना गांव के पास स्थित लोहागढ़ नदी पर बना पुल पिछले साल आई भयंकर बाढ़ के कारण ध्वस्त हो गया था। इस घटना को डेढ़ वर्ष बीत चुका है, लेकिन अब तक इस महत्वपूर्ण पुल का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। इस मार्ग से प्रतिदिन हजारों लोग और सैकड़ों वाहन गुजरते हैं, परंतु पुल न होने के कारण स्थानीय निवासियों को भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
जब पुल ध्वस्त हुआ था, तब विभाग ने अस्थायी रूप से नदी के दक्षिण में डायवर्शन का निर्माण कर यातायात बहाल किया था। हालांकि, इस वर्ष पुनः बाढ़ आने के कारण वह डायवर्शन भी बह गया। हाल ही में इसे फिर से मरम्मत कर चालू किया गया है, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है। इस मार्ग से खेसर, घनुआ, डुमरिया, बहोरना, निझरी, योगिया, कष्ठटिकरी, परमानंदपुर, बंझोलिया, भरतशीला, टिटही, भलुआ, गुलानी कुशाहा, छात्रहार सहित कई गांव जुड़े हुए हैं। इस 18 किलोमीटर लंबे मार्ग से प्रतिदिन हज़ारों लोगों का आवागमन होता है, जिनमें बड़ी संख्या में किसान, व्यापारी, छात्र और स्थानीय निवासी शामिल हैं।
सब्जी विक्रेताओं को हो रही भारी परेशानी
यह मार्ग सब्जी विक्रेताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र के सब्जी विक्रेता तारापुर की सब्जी मंडी से ताजा सब्जी लेकर आसपास के बाजारों में बेचने जाते हैं। पुल न होने के कारण उन्हें लंबा रास्ता तय करना पड़ रहा है, जिससे उनकी समय और परिवहन लागत बढ़ गई है। नतीजतन, स्थानीय बाजारों में सब्जियों की कीमतें भी प्रभावित हो रही हैं।
सड़क के चौड़ीकरण का काम जारी, लेकिन पुल पर ध्यान नहीं
वर्तमान में खेसर-तारापुर जिलानी पथ के चौड़ीकरण और जीर्णोद्धार का कार्य करोड़ों रुपये की लागत से किया जा रहा है। सड़क को आधुनिक बनाया जा रहा है, जिससे आने वाले समय में यातायात सुगम हो जाएगा। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस मार्ग पर स्थित सबसे महत्वपूर्ण ढांचे, बहोरना पुल, का पुनर्निर्माण अब तक नहीं किया गया है। इससे लोगों की समस्या जस की तस बनी हुई है।
20 साल पहले हुआ था पुल का निर्माण, बाढ़ और अवैध बालू खनन बना कारण
इस पुल का निर्माण लगभग दो दशक पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में कराया गया था। यह पुल क्षेत्र के लोगों के लिए जीवन रेखा साबित हुआ था, लेकिन लगातार नदी से बालू खनन के कारण इसका बेस कमजोर होता गया। परिणामस्वरूप, 25 सितंबर 2023 को आई भीषण बाढ़ में यह पुल पूरी तरह से ध्वस्त हो गया।
जनप्रतिनिधि उदासीन, जनता में रोष
स्थानीय लोगों का कहना है कि वे इस पुल के पुनर्निर्माण के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा चुके हैं। सांसद, मंत्री और विधायक को भी इस समस्या की पूरी जानकारी है, लेकिन इसके बावजूद अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है। क्षेत्रीय जनता में इस मुद्दे को लेकर भारी नाराजगी है।
स्थानीय लोगों ने की जिलाधिकारी और सरकार से मांग
क्षेत्रीय निवासियों ने जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द इस पुल का पुनर्निर्माण किया जाए। स्थानीय लोग सरकार से यह अपील कर रहे हैं कि पुल के निर्माण में किसी भी प्रकार की देरी से उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
अस्थायी समाधान से नहीं हो सकती स्थायी समस्या का हल
हालांकि, प्रशासन द्वारा पुल की जगह अस्थायी डायवर्शन बनाया गया है, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है। हर साल बाढ़ आने के कारण यह डायवर्शन बार-बार टूट जाता है, जिससे आवागमन प्रभावित होता है। इसलिए स्थायी पुल का निर्माण ही एकमात्र समाधान है, जिससे हजारों लोगों की परेशानी खत्म हो सकती है।
बच्चों और छात्रों को हो रही परेशानी
इस पुल के ध्वस्त होने का सबसे ज्यादा असर विद्यार्थियों पर पड़ रहा है। कई छात्र जो आसपास के गांवों से तारापुर, खेसर और अन्य जगहों पर पढ़ने जाते हैं, उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें लंबा सफर तय करके स्कूल-कॉलेज पहुंचना पड़ रहा है, जिससे उनकी पढ़ाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
स्वास्थ्य सेवाओं पर असर
इस पुल के न होने से क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने में भी दिक्कत हो रही है। यदि किसी मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाना हो, तो रास्ता लंबा होने के कारण देरी हो जाती है। यह स्थिति आपातकालीन मरीजों के लिए बेहद खतरनाक हो सकती है।
सरकार की ओर से फिलहाल कोई ठोस पहल नहीं की गई है। प्रशासन केवल अस्थायी समाधान के रूप में डायवर्शन बनाकर काम चला रहा है। लेकिन यह समाधान टिकाऊ नहीं है। जब तक पुल का स्थायी निर्माण नहीं होगा, तब तक इस क्षेत्र के लोगों को राहत नहीं मिलेगी।
जल्द हो पुल का निर्माण, जनता की यही मांग
अब समय आ गया है कि सरकार इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर संज्ञान ले और जल्द से जल्द इस पुल का पुनर्निर्माण कराए। यह केवल एक पुल नहीं, बल्कि हजारों लोगों की जरूरत और जीवन का अभिन्न हिस्सा है। अगर जल्द ही कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो स्थानीय लोग आंदोलन करने को मजबूर हो सकते हैं।
बहोरना पुल का ध्वस्त होना एक बड़ी समस्या बन चुका है। यह केवल एक पुल नहीं, बल्कि हजारों लोगों के लिए आवश्यक संरचना है। पुल के अभाव में स्थानीय लोगों, व्यापारियों, किसानों, विद्यार्थियों और मरीजों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वे इस समस्या को गंभीरता से लें और जल्द से जल्द इस पुल के निर्माण की प्रक्रिया शुरू करें। जब तक स्थायी पुल नहीं बनेगा, तब तक इस क्षेत्र की समस्याएं बनी रहेंगी। स्थानीय जनता की एक ही मांग है कि अविलंब बहोरना पुल का निर्माण किया जाए।
कोट
ग्रामीण पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता से इस संबंध में बात हुई है। प्रधानमंत्री योजना के तहत मार्च महीने के बाद पुल का टेंडर कर निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
मनोज यादव, विधायक, बेलहर विधान सभा
कहते हैं स्थानीय लोग
खेसर-तारापुर जिलानी पथ के लोहागढ़ नदी पर बहोरना पुल खेसर बाजार से सीधे मुंगेर के तारापुर जाने के लिये सुगम मार्ग है। पुल ध्वस्त हो जाने से क्षेत्रीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
सुमित कुमार, वार्ड सदस्य, बहोरना
बहोरना पुल के ध्वस्त होने से मुंगेर जिला को जोड़ने वाली लाइफ लाइन जैसे मुख्य पथ से आमजनों को आने जाने में परेशानी हो रही है। ध्वस्त पुल का निर्माण अति आवश्यक है। जिसपर जिला प्रशासन को अविलंब ध्यान देने की जरूरत है।
शिवम कुमार, ग्रामीण
बहोरना पुल ध्वस्त होने से खेसर बाजार के व्यसाइयों से लेकर आमजनों को आवा गमन में परेशानी हो रही है। जिसे देखने वाला को नहीं। ध्वस्त पुल का निर्माण अति आवश्यक है।
महेंद्र मंडल, ग्रामीण
बहोरना पुल ध्वस्त होने से खेसर बाजार के व्यसाइयों से लेकर आमजनों को आवा गमन में परेशानी हो रही है। जिसे देखने वाला को नहीं। पुल ध्वस्त हो जाने से क्षेत्रीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
राहुल कुमार, ग्रामीण
नदी में पुल नहीं बनने से ग्रामीणों को नदी पार कर आना-जाना भी मुश्किल हो गया है। खेती-बाड़ी के लिय भी नदी के पानी में उतर कर पार करना पड़ता है। ध्वस्त पुल का निर्माण अति आवश्यक है। जिसपर जिला प्रशासन को अविलंब ध्यान देने की जरूरत है।
अवधेश मंडल, किसान
लोहागढ़ नदी के ध्वस्त बहोरना पुल के डायवर्सन के नीचे नदी गिरकर में कई बार ई-रिक्शा सहित कई वाहन दुर्घटना ग्रस्त हो चुके हैं। जो लोगों के लिये खतरा बना हुआ है।
गौरव कुमार, ग्रामीण
बहोरना पुल ध्वस्त को जाने से डायवर्सन पर बड़े वाहनों के आवाजाही में परेशानी हो रही है। डायवर्सन में कई बार दुर्घटना हो चुकी है। ध्वस्त पुल का निर्माण अति आवश्यक है। जिसपर जिला प्रशासन को अविलंब ध्यान देने की जरूरत है।
अनिकेत कुमार, ग्रामीण
नदी के बालू उठाव से पुल का बेस कमजोर हो गया। नतीजतन इस मुख्य मार्ग का बहोरना पुल ध्वस्त हो गया। जिसका डेढ़ साल बाद भी निर्माण नही हो सका। ध्वस्त पुल का निर्माण अति आवश्यक है। जिसपर जिला प्रशासन को अविलंब ध्यान देने की जरूरत है।
गौरव कुमार 2, ग्रामीण
ध्वस्त पुल के निर्माण में देरी होना इस क्षेत्र के पिछड़ेपन को दर्शाता है। सरकार को इस पर अविलंब ध्यान देना चाहिए। ध्वस्त पुल का निर्माण अति आवश्यक है। जिसपर जिला प्रशासन को अविलंब ध्यान देने की जरूरत है।
संजीव कुमार, ग्रामीण
खेसर तारापुर पथ के शीर्ष में लोहागढ़ नदी पर बने पुल के ध्वस्त हो जाने से डायवर्सन में बड़े वाहनों की आवाजाही में दुर्घटनाग्रस्त होने का भय बना रहता है। ध्वस्त पुल का निर्माण अति आवश्यक है। जिसपर जिला प्रशासन को अविलंब ध्यान देने की जरूरत है।
निखिल कुमार, ग्रामीण
पिछले डेढ़ वर्षो से पुल का निर्माण नहीं होने से इस मार्ग से इस मार्ग में वाहनों की संख्या कम हो गई है। जिससे यात्रियों को आने जाने में परेशानी हो रही है। ध्वस्त पुल का निर्माण अति आवश्यक है। जिसपर जिला प्रशासन को अविलंब ध्यान देने की जरूरत है।
बिपिन बिहारी पटेल, ग्रामीण
जनप्रतिनिधि एवं जिला प्रशासन की उदासीनता से बहोरना पुल का निर्माण डेढ़ बर्षों से लंबित है। जिससे क्षेत्रीय जनता चिंतित है। ध्वस्त पुल का निर्माण अति आवश्यक है। जिसपर जिला प्रशासन को अविलंब ध्यान देने की जरूरत है।
अरविंद मंडल, ग्रामीण
फोटो :20 व 21
- ध्वस्त होने के डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी नहीं बना बहोरना पुल
पुल निर्माण की मांगो को लेकर आक्रोश जताते स्थानीय ग्रामीण
नाम से मनोज यादव विधायक, सुमित कुमार,शिवम कुमार, महेंद्र मंडल, राहुल कुमार, अवधेश मंडल, गौरव कुमार,अनिकेत कुमार, गौरव कुमार, संजीव कुमार, निखिल कुमार, बिपिन बिहारी पटेल, अरविंद मंडल,
बोले बांका असर
ईटहरी में बंद पड़े नल जल का कार्य शुरू धोरैया(बांका)संवाद सूत्र
धोरैया। संवाद सूत्र
शनिवार को हिन्दुस्तान अखबार में बोले बांका पेज पर प्रमुखता से प्रकाशित खबर ईटहरी में जल संकट, टंकी टूटी व नल भी सूखे खबर प्रकाशित होने क़े साथ ही पीएचईडी विभाग हरकत में आई। डीएम अंशुल कुमार के आदेश पर विभाग की ओर से त्वरित संज्ञान लेते हुए शनिवार को गांव में ग्रामीणों क़े बीच पानी की आपूर्ति शुरू किये जाने को लेकर जलमीनार क़े बगल में टूटी पड़ी टंकी की जगह जलमीनार पर नए टंकी लगाया गया। साथ ही पिछले एक वर्ष से बंद पड़े मोटर की मरम्मती का कार्य किये जाने क़े साथ जर्जर पड़े पाईप लाइन की मरम्मती कार्य भी शुरू कर दिया गया। विभाग द्वारा एक वर्ष से बंद पड़े मुख्यमंत्री पेयजल निश्चय योजना की मरम्मती का कार्य शुरू किये जाने से ग्रामीणों क़े बीच एक बार फिर से पानी मिलने की उम्मीद जग उठी है। मालुम हो कि चंदाडीह पंचायत क़े ईटहरी गांव क़े वार्ड 06 में मुख्यमंत्री पेयजल निश्चय योजना क़े तहत बने जलमीनार पर लगे टंकी एक वर्ष पूर्व ही टूट कर जमीन पर गिरने क़े साथ ईटहरी गांव में पानी की आपूर्ति ठप हो गयी थी। ग्रामीणों क़े द्वारा कई बार इसकी शिकायत भी की गयी लेकिन विभाग की नींद नहीं खुल पायी। जिससे ग्रामीणों की उम्मीद टूट चुकी थी। लेकिन शनिवार को खबर प्रकाशित होने क़े साथ ही विभाग द्वारा संज्ञान लिया गया और गांव में पानी की आपूर्ति शुरू किये जाने को लेकर कार्य शुरू किया गया। खबर प्रकाशित होने पर विभाग द्वारा लिए गए संज्ञान पर ईटहरी क़े ग्रामीणों ने हिन्दुस्तान अखबार की सराहना करते हुए गांव में एक वर्ष से हो रहे पानी की समस्या को उजागर कर समस्या से निजात दिलाने की बात कहते हुए अख़बार का धन्यवाद कहा।
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शनिवार को मोटर की मरम्मत करते मिस्त्री व जलमीनार पर चढ़ाया गया टंकी।
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