गौरवशाली रहा है गौरीपुर वैदिक कालीन शिवलिंग एवं दूधिया कुएं का इतिहास
शंभूगंज (बांका) एक संवाददाता शंभूगंज (बांका) एक संवाददाता बांका जिले के शंभूगंज प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत पौकरी पंचायत में गौरीपुर पहाड़ पर स्थित वैदिक
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शंभूगंज (बांका) एक संवाददाता बांका जिले के शंभूगंज प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत पौकरी पंचायत में गौरीपुर पहाड़ पर स्थित वैदिक कालीन शिवलिंग एवं दूधिया कुएं का इतिहास काफी पौराणिक रहा है। इसकी महत्ता को देखते हुए स्थानीय विधायक सह भवन निर्माण मंत्री ने पर्यटन स्थल बनाने की कवायद तेज कर दी है। बताया कि करोड़ों की लागत से करीब 07 बीघा जमीन पर पहाड़ की तराई में शिवगंगा का निर्माण कार्य जारी है। निर्माण कार्य पूरा हो जाने पर नौका विहार होगा। जिसमें पर्यटक नांव से सैर-सपाटा करेंगे। बताया कि पूर्व विधायक पिताजी जनार्दन मांझी के कार्यकाल में गौरीपुर पहाड़ तक पहुंचने के लिए सड़क निर्माण कार्य पूरा हुआ। गौरीपुर पहाड़ की रमणीय दृश्य पर्यटक को खूब लुभाएंगे। शंभूगंंज प्रखंड मुख्यालय से करीब तेरह किलोमीटर पर गौरीपुर पहाड़ है। गौरीपुर पहाड़ खेसर के सीमावर्ती क्षेत्र में अवस्थित है। फुल्लीडुमर के तत्कालीन सीओ सतीश कुमार ने गौरीपुर पहाड़ पर स्थित गौरा शिव मंदिर पर शोधकार्य कर इसका इतिहास पांच हजार वर्ष पूर्व बताया गया है। भागलपुर के पूर्व डीआईजी विकास वैभव, बांका के पूर्व एसपी चंदन कुमार सहित अन्य पदाधिकारियों ने वर्षों पूर्व गौरीपुर में वैदिक कालीन शिवलिंग की पूजा - अर्चना करने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने पर्यटन स्थल की संभावना व्यक्त किया। यहां प्रत्येक सोमवार को पूजा अर्चना करने श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। गौरीपुर शिव गौरी मंदिर में स्थित यह शिवलिंग वैदिक कालीन है। जिसमें गोल आकार के नीचे छह लकीरें है। जो हड्डप्पा काल से जुड़ा हुआ है। गौरतलब हो कि पुरातत्व विभाग की टीम ने इस शिवलिंग की जांच - पड़ताल कर पांच हजार वर्ष पूर्व बताया था। पर्यावरण विशेषज्ञ प्रवीण कुमार, जदयू राज्य परिषद सदस्य सह स्थानीय ब्रह्मप्रकाश सिंह, पंचायत के सरपंच प्रतिनिधि शेखर सिंह, गढ़ी मोहनपुर सहौडा गांव के समाजसेवी विवेकानंद सिंह, भाजपा नेता सोनू सिंह, पप्पू यादव सहित अन्य लोगों का कहना है कि इस धरोहर को पर्यटक स्थल के रूप में काफी विकसित करने की जरूरत है। जिसकी कवायद शुरू हो गई है। बताया जाता है कि पांच सौ वर्ष पूर्व राजा खंतोडी शिव के अनन्य भक्त थे। वे हर दिन पूजा अर्चना कर अपने कामधेनु गाय का दूध चढ़ाते थे। जब कामधेनु गाय वृद्ध होकर स्वर्ग सिधार गई तो राजा खंतोडी सोच में पड़ गए। शिवलिंग पर कामधेनु गाय का दूध नहीं चढ़ाने से राजा को पूजा पाठ में मन नहीं लगने लगा। भगवान अपने भक्त को चिंतित देख एक दिन भोलेनाथ ने स्वप्न दिया कि मंदिर परिसर में कुंआ खुदवाएं। जहां तुम्हारा कामधेनु वहीं मिल जाएगा । अगले दिन सुवह राजा ने कुंआ खुदवाया तो पानी दुध जैसी सफेद निकलने लगा। राजा खंतोडी ने कुएं के जल से शिवलिंग का जलाभिषेक करने लगे। कुछ वर्ष पूर्व तक इस कुएं का दूधिया जल चढ़ाने प्रत्येक सोमवार को मेला जैसा लगने लगता था। लेकिन कुएं अब खूद प्यासी हो जाती है। महज दो दिनों के बाद शिवरात्रि पर्व पर पूजा अर्चना करने बांका, भागलपुर एवं मुंगेर तीन जिलों के श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ेगी।
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