रामधारी सिंह दिनकर की पुण्यतिथि पर स्मृति समारोह एवं संगोष्ठी हुई, युवा
विद्यार्थियों ने सीखी दिनकर के आदर्शों की भावना 16 कैप्शन-दिनकर स्मृति में साहित्यिक संगोष्ठी में शामिल शिक्षक एवं छात्र दाउदनगर, संवाद सूत्र। राष्ट्रकवि रामधारी

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का निधन 24 अप्रैल 1974 को हुआ था। उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर शनिवार को दाउदनगर कॉलेज के प्रेमचंद सभागार में हिंदी विभाग द्वारा स्मृति समारोह एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के नेतृत्व में तथा आईक्यूएसी के तत्वावधान में किया गया। हिंदी विभागाध्यक्ष ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य हिंदी साहित्य के पुरोधा और राष्ट्र चेतना के प्रखर स्वर दिनकर को श्रद्धांजलि अर्पित करना तथा नई पीढ़ी को उनके विचारों से परिचित कराना था। कार्यक्रम की शुरुआत रश्मिरथी के कविता पाठ से हुई, जिससे सभागार का वातावरण भावुकता से भर उठा। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी का इतिहासबोध क्षीण होता जा रहा है, जिससे राष्ट्र प्रेम भी खोखला हो रहा है। दिनकर की कविताएं इस कमी को पूरा कर सकती हैं। इसके बाद दर्शनशास्त्र विभाग की सहायक प्राध्यापिका ने दिनकर को राष्ट्रीय चेतना का प्रखर वाणी वाला कवि बताते हुए कहा कि उन्होंने अपनी रचनाओं में उन गुमनाम सेनानियों को भी स्थान दिया, जिन्हें इतिहास ने भुला दिया। वीर रस से ओतप्रोत उनकी कविताओं ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान और उसके बाद भी राष्ट्रप्रेम की भावना को प्रज्वलित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एक वरिष्ठ शिक्षक ने दिनकर के जीवन संघर्ष और साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि दिनकर का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था और उन्होंने कठिन परिस्थितियों के बावजूद शिक्षा प्राप्त कर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।