बोले औरंगाबाद : प्याज की खेती के लिए सस्ती कीमत पर खाद और कीटनाशक की दरकार
जिले के किसान प्याज की खेती में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। नकली खाद और बीज के कारण फसल को नुकसान हो रहा है। सिंचाई व्यवस्था भी खराब है, जिससे उत्पादन प्रभावित हो रहा है। किसानों ने सरकार से उचित...

जिले के विभिन्न प्रखंडों में हजारों किसान प्याज की खेती करते हैं। किसान बताते हैं कि अगर उन्हें असली खाद, बीज मिले तो वे उत्पादन में काफी बढ़ोतरी ला सकते हैं। मलाल है कि कभी रासायनिक खाद तो कभी बीज नकली होने से उनकी खेती मारी जाती है। कभी पुराने बीज मिलने से उसमें अंकुरण नहीं हो पाता। किसान बताते हैं कि धान की फसल काटकर उसमें प्याज लगाते हैं। इसमें कड़ी मेहनत की जरूरत पड़ती है। जेठ की तपती दुपहरी में भी खेतों में खड़े होकर फसल की सिंचाई करते हैं। यह फसल सिंचाई पर ही निर्भर है। इस फसल को उगाने को कठिन परिश्रम के साथ-साथ अधिक पूंजी की जरूरत होती है। अगर इसकी खेती में समय गंवाते हैं तो फसल नष्ट हो जाती है। किसान देवनंदन यादव, गनौरी यादव, जगनारायण यादव, अर्जुन यादव, रामाश्रय सिंह, उपेंद्र कुमार, नरेश ठाकुर आदि ने कहा कि प्याज की खेती के लिए उसका ख्याल रखना पड़ता है। प्याज की फसल लेने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है वर्ना लगाई गई पूंजी भी समाप्त हो जाती है। किसानों ने बताया कि सिंचाई व्यवस्था जिले में बदहाल है। कृषि फीडर के जरिए किसानों को सस्ती दर पर बिजली कनेक्शन दिया जाए ताकि सिंचाई में आसानी हो। किसानों ने बताया कि यहां की मिट्टी में प्याज की फसल अच्छी होती है। इस मिट्टी के प्याज का आकार और रंग काफी आकर्षक होते हैं। इसे देखते ही खरीदार आकर्षित होते हैं। किसानों का कहना है कि सरकार से अगर कोल्ड स्टोरोज, सिंचाई सुविधा, अच्छा मूल्य मिले तो उत्पादन में क्रांति लाकर जिले के अलावा कई जिले में प्याज की आपूर्ति कर सकते हैं। हम जैसे किसानों के लिए बीज, खाद, दवा आदि की सरकारी स्तर पर कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में खेती के लिए आवश्यक डीएपी, यूरिया और कीटनाशक दवा आदि निजी दुकानों से खरीदनी पड़ती है। सरकारी सुविधाओं के अभाव का फायदा निजी दुकानदार उठाते हैं और डीएपी, यूरिया आदि बैग पर अंकित मूल्य से अधिक कीमत पर बेचते हैं। किसानों ने कहा कि प्याज की फसल तैयार होने में तीन महीने लगता है। प्याज की खेती के लिए गर्मी से पहले का समय उपयुक्त होता है। इसके बाद गर्मी के कारण फसल बर्बाद होने लगती है। जिले के क्षेत्र में किसानों के लिए सिंचाई की भी गंभीर समस्या है। तापमान बढ़ने के साथ ही भूजल स्तर नीचे चला जाता है। किसान अपने खेतों के लिए कराई गई निजी बोरिंग पर ही निर्भर रहते हैं। जलस्तर नीचे जाने के कारण दिन में सिंचाई मुश्किल हो जाती है। इसके लिए रात में सिंचाई करनी पड़ती है। किसान सिंचाई के लिए पूरी तरह से बिजली पर निर्भर है। प्याज किसान साल में तीन महीने ही खेती कर पाते हैं। किसानों से बिजली के लिए सरकार एकमुश्त रकम लेती है जबकि किसान बिजली का इस्तेमाल केवल तीन महीने ही खेती के दौरान करते हैं। सरकार को छोटे किसानों को इतने कम समय खेती करने के कारण मुफ्त या सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध करानी चाहिए।
खेती की लागत बड़ी मुनाफा नहीं
किसानों का कहना है कि कमाई की स्थिति ऐसे समझे कि अपने ही खेत में मजदूर बने हुए हैं। कभी कमाई होती है तो कभी बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है। किसान अपने उत्पादों को स्थानीय मंडी में बेचते हैं जहां व्यापारियों की मनमानी चलती है। खुदरा बाजार में प्याज की कीमत 25 से 30 रुपए प्रति किलो होती है तो किसानों को इसके लिए 10 से 15 रुपए बमुश्किल मिलते हैं। सरकार ने कई अनाज का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर दिया है। अन्य उत्पादों की भी एक न्यूनतम कीमत तय है लेकिन प्याज की कोई न्यूनतम दर निर्धारित नहीं है। इससे किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। प्याज की खेती करना बेहद मुश्किल हो चुका है। एक तरफ खेती में इस्तेमाल होने वाला बीज महंगा हो चुका है तो दूसरी ओर खाद आपूर्ति के मामले में हम जैसे किसानों के लिए सरकारी स्तर पर कोई व्यवस्था नहीं है। निजी दुकानदार डीएपी, यूरिया आदि को अंकित मूल्य से अधिक कीमत पर बेचते हैं। इससे किसानों का आर्थिक बोझ बढ़ता है। इसके अलावा बाजार में बिचौलियों और व्यापारियों की मनमानी के कारण उत्पाद की सही कीमत नहीं मिल पाती है। जिन किसानों के पास आय की कोई अतिरिक्त व्यवस्था नहीं है, उनकी हालत बेहद दयनीय है। खेती की कमाई से जीवन मुश्किल से चल रहा है। किसानों का कहना है कि प्याज का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार तय कर दे तो किसान खुशहाल हो सकते हैं। साथ ही आस-पास के क्षेत्र में कोई कोल्ड स्टोरेज नहीं रहने के कारण वे प्याज को अधिक समय तक नहीं रख पाते हैं। किसानों को अपने उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। जिले में प्याज की खेती करने वाले किसानों की स्थिति दयनीय है। कोल्ड स्टोरेज नहीं रहने के कारण दो-चार दिन में ही प्याज सड़ने लगता है। इस कारण किसान व्यवसायियों के हाथ औने पौने दाम में अपना उत्पाद बेच देते हैं। मौसम की धोखेबाजी से प्याज की फसल को काफी नुकसान होता है। किसान बताते हैं कि प्याज उत्पादन के लिए बारिश के पानी नहीं बल्कि पंप सेट से सिंचाई की जरूरत है। बारिश इसके लिए कहर के समान होता है। खासकर जब खेतों में प्याज की फसल तैयार हो जाती है और बारिश हुई तो उसका व्यापक प्रतिकूल असर पड़ता है। बारिश के पानी से प्याज सड़ने गलने लगते हैं। किसान बताते हैं कि जब मौसम खराब होता है तो उनकी धड़कनें बढ़ जाती हैं। आंधी के कारण भी यह फसल चौपट हो जाती है और नुकसान होता है।
सुझाव
1. सरकार मनरेगा के तहत किसानों को मजदूर उपलब्ध कराए तो प्याज उत्पादन में क्रांति आएगी।
2. सरकारी स्तर पर खाद बीज मुहैया कराया जाए।
3. कीड़े के प्रकोप से बचने के लिए सरकार असली कीटनाशक मुहैया कराए
4. फसल उत्पादन के बाद उचित कीमत नहीं मिल पाती, सरकार दाम निर्धारित करें
5. सिंचाई के लिए बिजली समय पर मिले, कनेक्शन फ्री हो
शिकायतें
1. प्याज उत्पादन में सबसे बड़ी समस्या मजदूरों की कमी होती है।
2. खाद, बीज नकली होने के कारण फसल मारी जाती है।
3. प्याज की फसल में कीड़े लगने से फसल चौपट होने लगती है, नकली कीटनाशक का भी असर नहीं पड़ता।
4. फसल जब तैयार होती है तो व्यापारी उसे अपने भाव से खरीदते हैं, फसल की कीमत नहीं मिल पाती।
5. फसल भंडारण की समस्या से किसान परेशान होते हैं, जगह का अभाव है।
हमारी भी सुनिए
किसान खेती में लगे फसल की सिंचाई करने के लिए परेशान रहते हैं। उन्हें निजी पंप सेट से सिंचाई करनी पड़ती है।
देवनंदन यादव
प्याज उत्पादन के लिए सिंचाई जरूरी है। सरकार को बिजली व्यवस्था दुरुस्त करनी चाहिए। किसानों को परेशानी होती है।
गनौरी यादव
किसानों को सिंचाई निजी नलकूप से करना पड़ता है जो काफी महंगा होता है। सिंचाई के लिए पर्याप्त बिजली दें।
जगनारायण यादव
प्याज की फसल में कीड़े लग जाते हैं। उसमें छिड़काव करने के लिए कीटनाशक दवा लानी पड़ती है। यह नकली होने पर छिड़काव भी बेअसर होता है।
अर्जुन यादव
खुले बाजार में खाद, बीज खरीदने हैं। नकली होने से फसल खराब हो जाती है। नकली खाद, बीज पर लगाम लगनी चाहिए।
वीरेंद्र यादव
निजी नलकूप वाले से सिंचाई करके फसल उगाना संभव नहीं है। पानी खरीद कर देना काफी महंगा है। इसके बावजूद प्याज की फसल लगाते हैं।
लालदेव यादव
खेती किसानी पर सरकार ध्यान दे। फसल की सिंचाई के लिए जिले में बिजली को और दुरुस्त करने की जरूरत है।
विनोद कुमार
प्याज की खेती करने में मजदूर की सबसे बड़ी समस्या आती है। रोपनी और निकौनी करने के लिए मजदूर को ढूंढना पड़ता है।
मालती देवी
किसान फसल की सिंचाई में ही बिक जाते हैं। निजी स्तर पर पानी खरीद कर सिंचाई करना काफी महंगा है। सरकार उन्हें सुविधा उपलब्ध कराए।
उपेंद्र कुमार
सरकार के स्तर से सहयोग नहीं मिलता है। घर के पास प्याज की फसल लगाई है। इसमें पूंजी अधिक लगती है। महाजन से कर्ज लेकर फसल लगाता हूं।
नरेश ठाकुर
प्याज उत्पादन के लिए जगह-जगह पर बोरिंग कराने की जरूरत है। किसानों को सिंचाई करने में परेशानी नहीं होगी तो खेती में भी सहूलियत होगी।
राजेंद्र प्रसाद
असली खाद, बीज नहीं मिलने से फसल मारी जाती है। कई बार नकली बीच में अंकुरण ही नहीं आया जिससे परेशानी होती है।
विजय सिंह
किसानों के पास संसाधनों की कमी होती है। पंचायत में पानी उपलब्ध कराने के लिए सरकारी स्तर से बोरिंग करा दी जाए तो सहूलियत होगी।
शंकर प्रसाद
पैदावार अधिक हुई तो फसल की कीमत गिर जाती है जबकि कम उपज के कारण किसानों को खेती को खर्च निकालना भी मुश्किल हो जाता है। इस पर लगाम लगनी चाहिए।
राम लखन प्रसाद
मदनपुर प्रखंड क्षेत्र में सिंचाई की भी गंभीर समस्या है। जलस्तर नीचे जाने के कारण दिन में सिंचाई मुश्किल हो जाती है।
रामस्वरूप यादव
प्याज की दर प्रतिदिन के आधार पर तय होनी चाहिए और उसकी सीधी जानकारी उनके मोबाइल फोन पर दी जानी चाहिए। तकनीक का लाभ किसानों को नहीं मिल पाता है।
रामाश्रय सिंह
अपने ही खेत में मजदूर बने हुए हैं। कभी कमाई होती है तो कभी नुकसान उठाना पड़ता है। मंडी में व्यापारी मनमानी करते हैं।
यमुना यादव
प्याज की खेती में कोई फायदा नहीं हो रहा है। मजबूरी में खेती कर रहे हैं। इस उम्र में अब कोई दूसरा काम भी नहीं कर सकते हैं।
सत्येंद्र महतो
प्याज की खेती करने वाले किसान बिजली का इस्तेमाल केवल तीन महीने ही करते हैं। छोटे किसानों की खेती के लिए मुफ्त बिजली देनी चाहिए।
रामचंद्र महतो
चुनाव के समय ये लोग किसानों के पास आते हैं। उसके बाद इनका कोई आता पता नहीं होता है। किसानों की कोई मदद नहीं करता है। प्याज की न्यूनतम कीमत तय होनी चाहिए।
जितेंद्र महतो
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