अधिवक्ता अधिनियम के संशोधन के विरोध में हड़ताल पर रहेंगे अधिवक्ता- पेज-4
25 फरवरी को न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे अधिवक्ता, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। जिला विधिज्ञ संघ, औरंगाबाद में शनिवार को अधिवक्ताओं की आम सभा अध्यक्ष विजय कुमार पांडेय की अध्यक्षता में आयोजित हुई। इसका...
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जिला विधिज्ञ संघ, औरंगाबाद में शनिवार को अधिवक्ताओं की आम सभा अध्यक्ष विजय कुमार पांडेय की अध्यक्षता में आयोजित हुई। इसका संचालन महासचिव जगनरायण सिंह ने किया। कोषाध्यक्ष प्रदीप कुमार ने साल भर के वार्षिक आय व्यय का ब्योरा प्रस्तुत किया। जिला विधिक संघ, औरंगाबाद के अधिवक्ता कल्याण कोषांग के अध्यक्ष कामता प्रसाद सिंह और सचिव बागेश्वरी प्रसाद ने साल भर के खर्च और बचत की पूरी जानकारी उपलब्ध कराई। आम सभा में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि आगामी 25 फरवरी को जिला विधिज्ञ संघ, औरंगाबाद के अधिवक्ता न्यायिक कार्य से अलग रहेंगे। अध्यक्ष विजय कुमार पांडेय ने बताया कि अधिवक्ता अधिनियम 1961 में प्रस्तावित संशोधन का अधिवक्ता समाज विरोध करता है। महासचिव जगनरायण सिंह ने कहा कि यह संशोधन अधिवक्ताओं के लिए हानिकारक है। यह उनकी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का प्रयास है। उदय कुमार सिन्हा ने कहा कि बार काउंसिल में सरकार की दखल मंजूर नहीं है। सुर्दशन यादव ने कहा कि कोर्ट बहिष्कार अब कदाचार के श्रेणी में क्यों आए, इसके बारे में बताना चाहिए। प्रदीप कुमार ने कहा कि अधिवक्ताओं के व्यवहार जांच में केवल पूर्व जज को ही प्राथमिकता दी जाएगी। सियाराम पांडेय ने बताया कि अधिवक्ताओं के तीन साल से अधिक सजा पर अधिवक्ता लाइसेंस से नाम काट दिया जाएगा। अकमल हसन ने कहा कि बार काउंसिल को नियम और उपनियम बनने के लिए केन्द्र निर्देशित करेगी। दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि विदेशी अधिवक्ताओं के प्रवेश से यहां के अधिवक्ताओं का हक मारा जाएगा। संजय कुमार सिंह ने कहा कि बीसीआई राज्य बार काउंसिल को कभी भी भंग कर सारे अधिकार ले सकता है। अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 से केंद्र सरकार का कानूनी पेशा में असीमित नियंत्रण हो जाएगा। अधिवक्ताओं की हड़ताल और कोर्ट बहिष्कार कदाचार की श्रेणी में आ जाएगा। अधिवक्ताओं को झूठी शिकायत से बचने का सुरक्षा होना चाहिए था और जुर्माना से सुरक्षा होना चाहिए था। अधिवक्ताओं के निलंबन और अनुशासनात्मक कार्रवाई का अधिकार गलत है। सभी अधिवक्ताओं ने एक सुर से संशोधन का विरोध किया।
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