जिले के दो स्थलों पर हुई पक्षियों की गणना, 52 प्रजाति के पक्षियों की पहचान
अररिया जिले के साहसमल पंचायत में दो वेटलैंड्स का सर्वेक्षण किया गया, जिसमें जल पक्षियों की गणना की गई। एशियन वाटरबर्ड सेंसस के तहत 18 फरवरी को संपन्न हुए इस सर्वे में 25 से 27 प्रजातियों के पक्षियों...
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साहसमल पंचायत के बलवात स्थित दोपहरिया पोखर और त्रिशूलिया घाट में हुई सर्वे सह गणना अररिया, संवाददाता
राष्ट्रव्यापी एशियन वॉटर बर्ड सेंसस के तहत जिले में भी दो वेटलैंड यानी आर्द्रभूमि क्षेत्र में भी वन प्रमंडल द्वारा जल पक्षियों की गणना और उनकी प्रजाति की पहचान का कार्यक्रम चलाया गया। मिली जानकारी के अनुसार एशियन वाटरबर्ड सेंसस दरअसल इंटरनेशनल वाटरबर्ड सेंसस का हिस्सा है। इस बार एशियन वाटरबर्ड सेंसस के लिए एक दिसंबर 2024 से 28 फरवरी 2025 तक की अवधि निर्धारित की गई थी। जिले में वाटरबर्ड सेंसस का काम 18 फरवरी को संपन्न हुआ। अररिया वन प्रमंडल पदाधिकारी संजीव रंजन ने बताया कि अररिया वन प्रमंडल के अधीन दो आर्द्रभूमि यानी वेटलैंड्स को सर्वे के लिए चिन्हित किया गया। एक अररिया प्रखंड के साहसमल पंचायत अंतर्गत बलवात का दोपहरिया पोखर और दूसरा त्रिशूलिया घाट। बर्ड सर्वे के लिए दो बर्ड वाचर सुस्मित बोले और अभय राय को एशियन वाटरबर्ड सेंसस द्वारा प्रतिनियुक्त किया गया था। टीम में जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी द्वारा प्रतिनयुक्त वनरक्षी गौरव कुमार भी शामिल थे। बताया गया कि सर्वे में दोपहरिया पोखर में लगभग 25 प्रजाति के पक्षी देखे गए। वहीं त्रिशूलिया घाट के दोनों तरफ लगभग 27 प्रजाति के पक्षियों को देखा गया जिसमें ज्यादातर जलीय पक्षी थे। पक्षियों में मुख्य रूप से लेसर वेस्टलिंग डक,लिटिल कॉमरेंट, ग्रे हेडेड लैपविंग, कॉमन टील,ओरिएंटल डार्टर,कॉमन ग्रीनशंक,ग्रीन सैंडपाइपर, ग्रे हेरोन आदि थे। इधर जानेमाने पर्यावरणविद् सुदन सहाय ने बताया कि इस सर्वे से यह साफ हो गया कि अररिया में भी प्रवासी पक्षी भी आते हैं। अब इसका संरक्षण आवश्यक है।
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