Hindi Newsऑटो न्यूज़Future of diesel and petrol vehicles: Will EVs be able to replace them completely?

क्या पूरी तरह खत्म हो जाएगा पेट्रोल-डीजल कारों का वजूद? भविष्य में कौन करेगा राज? जानिए सच्चाई

आने वाले सालों में डीजल और पेट्रोल गाड़ियों का क्या भविष्य होगा? क्या इलेक्ट्रिक व्हीकल ICE (Internal combustion engine) वाहनों को पूरी तरह से रिप्लेस कर पाएंगे? आइए इसे जरा विस्तार से समझते हैं कि आखिर भविष्य में कौन राज करेगा?

Sarveshwar Pathak लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 27 Jan 2025 11:57 PM
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क्या पूरी तरह खत्म हो जाएगा पेट्रोल-डीजल कारों का वजूद? भविष्य में कौन करेगा राज? जानिए सच्चाई

पिछले कुछ सालों में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। जहां पहले डीजल और पेट्रोल गाड़ियां बाजार पर राज करती थीं, वहीं अब इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। पर्यावरण के प्रति जागरूकता और फ्यूल की बढ़ती कीमतों ने इस बदलाव को और स्पीड दी है। नॉर्वे जैसे देश में इस साल के आखिरी तक 100 फीसद तक पेट्रोल और डीजल कारें बिकना बंद हो जाएंगी। मतलब कि इस यूरोपीय देश में शायद अगले कुछ सालों में पेट्रोल और डीजल से चलने वाली कारों का वजूद पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। लेकिन, सवाल यह है कि क्या भारत समेत पूरी दुनिया में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स डीजल और पेट्रोल गाड़ियों को पूरी तरह से रिप्लेस कर पाएंगे? आइए इस पर तैयार एक खास रिपोर्ट पर नजर डालते हैं।

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डीजल और पेट्रोल गाड़ियों का वर्तमान परिदृश्य

डीजल और पेट्रोल गाड़ियां दशकों से भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की रीढ़ की हड्डी रही हैं, जिसके कुछ मुख्य कारण हैं। सबसे पहला और बड़ा कारण यह है कि डीजल और पेट्रोल पंप लगभग हर कोने में उपलब्ध हैं और पेट्रोल और डीजल गाड़ियां बिना बार-बार फ्यूल भरवाए लंबी दूरी तय कर सकती हैं। इसके अलावा EVs की तुलना में डीजल और पेट्रोल गाड़ियों की शुरुआती कीमत अभी काफी कम है। हालांकि, बढ़ते प्रदूषण और फ्यूल की कीमतों ने इन वाहनों के भविष्य को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।

Future of diesel and petrol vehicle

इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का उदय

EVs ने ऑटोमोबाइल सेक्टर में एक नई क्रांति ला दी है। इन गाड़ियों में बैटरी से चलने वाला मोटर होता है, जो न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि लॉन्ग-टर्म के लिए किफायती भी है। इसके कई फायदे भी हैं। जैसे कि सबसे बड़ा फायदा प्रदूषण को कम करना है। इसके अलावा इनका लो मेंटेनेंस भी इन्हें एक अट्रैक्टिव ऑप्शन बनाता है। जी हां, क्योंकि इलेक्ट्रिक गाड़ियों में इंजन ऑयल या अन्य जटिल पार्ट्स नहीं होते, जिससे मेंटेनेंस लागत कम हो जाती है। इसके साथ ही सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी भी लोगों को आकर्षित कर रही है। हालांकि, EVs की कुछ चुनौतियां भी हैं, जैसे चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी और चार्जिंग के लिए लंबा इंतजार।

क्या EVs ले पाएंगी डीजल और पेट्रोल गाड़ियों की जगह?

पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भारत में पेट्रोल और डीजल कारों के पूरी तरह बंद होने के सवाल पर कहा था कि 100 फीसद भविष्य में पेट्रोल और डीजल कारें बंद हो सकती हैं। गडकरी ने कहा था कि यह मुश्किल है, लेकिन असंभव नहीं है। यह मेरा दृष्टिकोण है। उन्होंने कहा कि हम आगे अल्टरनेटिव और बॉयो फ्यूल व्हीकल के भविष्य की कल्पना करते हैं।

Future of diesel and petrol vehicle

नॉर्वे दुनिया के लिए एक मिसाल

यूरोपीय महाद्वीप में नॉर्वे जैसे देश भी हैं, जो पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल हैं। इस देश के 90% लोगों ने पेट्रोल और डीजल कारों को छोड़कर EVs का साथ चुन लिया है। आंकड़ों के अनुसार, नॉर्वे में 2024 में बेची गई नई कारों में से लगभग 90% फुली इलेक्ट्रिक थीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तरी यूरोप के नॉर्वे में इस साल (2025) के आखिरी तक पेट्रोल-डीजल की कारों की बिक्री बंद हो जाएगी। लेकिन, इस क्रम में भारत कहां है? आइए नीचे दिए गए ग्राफ पर एक नजर डालें, जिससे यह साफ हो सके कि पेट्रोल-डीजल कारों का वजूद कब तक किस देश में रहेगा।

किस देश में कब बंद होंगे ICE इंजन वाहन?

2025 
नॉर्वे
 
2030
आइसलैंड
इजराइल
नीदरलैंड
डेंमार्क
 
2035
कनाडा
चिली
चीन
इटली
जापान
साउथ कोरिया
पुर्तगाल
थाईलैंड
UK
USA
 
2040
भारत
पाकिस्तान
ऑस्ट्रिया
क्रोटिया
इजिप्ट
El सालवेडर
आयरलैंड
मैक्सिको
न्यूजीलैंड
पाकिस्तान
पोलैंड
स्पेन
तुर्की

 


 

नॉर्वे में 2025 के आखिरी तक पेट्रोल-डीजल कारों की बिक्री पूरी तरह बंद हो जाएगी। लेकिन ऊपर दिए गए चार्ट से पता चलता है कि भारत में पेट्रोल और डीजल की कारों का वजूद 2040 तक रहने वाला है। इसके अलावा पड़ोसी देश चीन ने 2035 में ही पेट्रोल-डीजल कारों की बिक्री बंद करने की प्लानिंग की है। वहीं, 2030 तक जर्मनी, ग्रीस, स्वीडन में पेट्रोल-डीजल कारें बंद हो सकती हैं। लेकिन, भारत इस रेस में क्यों पीछे है? नॉर्वे जैसे कई अन्य देशों की तरह भारत में आखिरकार क्यों जल्द से जल्द पेट्रोल-डीजल कारें बंद नहीं हो सकती हैं? आइए इसके पीछे की कहानी समझते हैं।

चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति

सबसे जरूरी बात यह है कि भारत में अभी EVs की सफलता चार्जिंग स्टेशन की उपलब्धता पर निर्भर करती है। शहरों में चार्जिंग स्टेशन तेजी से बन रहे हैं, लेकिन ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में अभी भी यह एक बड़ी चुनौती है।

Future of diesel and petrol vehicle

बैटरी की टेक्नोलॉजी

EVs की बैटरी टेक्नोलॉजी में सुधार हो रहा है, लेकिन कम रेंज और बैटरी को दोबारा चार्ज करने में लगने वाला समय अभी भी लोगों को डीजल और पेट्रोल गाड़ियों की ओर ही लेकर जा रहा है।

लागत का अंतर

ईवी को लॉन्ग टाइम ऑपरेशन और मेंटेनेंस लागत इसे किफायती बनाते हैं। लेकिन, EVs की शुरुआती कीमत अभी भी आम लोगों के लिए काफी ज्यादा है।

विशेष उपयोग के लिए डीजल गाड़ियां

भारी वाहन, जैसे ट्रक्स और लॉजिस्टिक व्हीकल्स में डीजल इंजन की मांग अभी भी बनी हुई है, क्योंकि EVs उतना टॉर्क और पावर जेनरेट नहीं कर पाते हैं। भारी वाहनों को खींचने में बैटरी काफी तेजी से रिड्यूस हो जाती है।

Future of diesel petrol car

भारत में EVs के लिए संभावनाएं

भारत में EVs का भविष्य उज्ज्वल है। सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक नई गाड़ियों की बिक्री में 30% हिस्सा EVs का हो। टाटा, महिंद्रा, और ओला जैसे भारतीय ब्रांड्स भी इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। EVs को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। सरकार ईवी को अपनाने के लिए टैक्स में छूट और सब्सिडी दे रही है। भारत सरकार FAME (Faster Adoption and Manufacturing of Hybrid and Electric Vehicles) योजना के तहत EVs को प्रोत्साहन दे रही है। इसके अलावा बड़े पैमाने पर चार्जिंग स्टेशन का निर्माण कर रही है। पुराने डीजल और पेट्रोल गाड़ियों पर बैन लगाने के लिए नए प्रदूषण नॉर्म्स (BS-VI) लागू कर रही है।

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क्या EVs वाकई रिप्लेस कर पाएंगी?

EVs का विकास तेजी से हो रहा है, लेकिन यह कहना मुश्किल है कि ईवी पूरी तरह से डीजल और पेट्रोल गाड़ियों को रिप्लेस कर पाएंगी। हालांकि, यह बिल्कुल साफ है कि हाइब्रिड वाहनों का चलन आने वाले समय में बढ़ सकता है। लेकिन, जब तक नेचुरल तरीके से पेट्रोलियल पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाता है, तब तक यह कहना बहुत मुश्किल है कि पेट्रोल और डीजल कारों का वजूद पूरी दुनिया से खत्म हो जाएगा। वर्तमान परिदृश्य से पता चलता है कि भविष्य में EVs का बाजार और बढ़ेगा, लेकिन डीजल और पेट्रोल गाड़ियां तुरंत गायब नहीं होंगी। इस ट्रांजिशन में समय लगेगा और हाइब्रिड टेक्नोलॉजी इस प्रक्रिया को आसान बनाएगी। इस बदलाव में सरकार, ऑटोमोबाइल कंपनियों और ग्राहकों की भागीदारी सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होगी।

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