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कार के जिस फीचर के लिए लोग लाखों खर्च कर रहे, उसने एक्सीडेंट में किया इजाफा; चौंका देगी ये रिपोर्ट

  • देश और दुनिया के अंदर कार की सेफ्टी को लेकर जबरदस्त काम चल रहा है। बात चाहे एयरबैग्स बढ़ाने की हो, या फिर टेक्नोलॉजी की मदद से ड्राइविंग को सेफ करने की। इसमें एक टेक्नोलॉजी ADAS भी है।

Narendra Jijhontiya लाइव हिन्दुस्तानSat, 15 Feb 2025 01:06 PM
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कार के जिस फीचर के लिए लोग लाखों खर्च कर रहे, उसने एक्सीडेंट में किया इजाफा; चौंका देगी ये रिपोर्ट

देश और दुनिया के अंदर कार की सेफ्टी को लेकर जबरदस्त काम चल रहा है। बात चाहे एयरबैग्स बढ़ाने की हो, या फिर टेक्नोलॉजी की मदद से ड्राइविंग को सेफ करने की। इसमें एक टेक्नोलॉजी ADAS भी है। इसे एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम (ADAS) कहा जाता है। इस टेक्नोलॉजी के अंदर कई अलग-अलग फीचर्स शामिल होते हैं। कई कंपनियां लेवल 2 ADAS भी पेश कर चुकी हैं। ये एक्स्ट्रा सेफ्टी के लिए रडार-बेस्ड सेंसर का उपयोग करता है। हालांकि, यूरोपीय ट्रांसपोर्ट रिसर्च रिव्यू (European TransportResearch Review) की स्टडी में ये बात सामने आई है कि इस टेक्नोलॉजी से एक्सीडेंट में इजाफा हुआ है।

शोधकर्ताओं ने अपनी स्टडी में बताया है कि न सिर्फ क्रूज कंट्रोल फंक्शन बल्कि अडेप्टिव क्रूज कंट्रोल फीचर ने भी पैसेंजर सुरक्षा से समझौता किया है। यह देखा गया कि क्रूज कंट्रोल ने दुर्घटना दर को 12% बढ़ाकर लोगों के जीवन को जोखिम में डाला है। वहीं, अडेप्टिव क्रूज कंट्रोल ने यात्रियों के जीवन को 1.8% तक खतरे में डाला है। अडेप्टिव क्रूज कंट्रोल पर की गई रिसर्च विरोधाभासी रही, क्योंकि डेटा के एक अन्य सेट ने दावा किया कि इसने दुर्घटनाओं को प्रभावी रूप से कम किया। हालांकि, एक अन्य अध्ययन में कहा गया है कि इससे दुर्घटनाओं का जोखिम 8% बढ़ जाता है।

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स्टैंडर्ड क्रूज कंट्रोल फंक्शन से जुड़ा जोखिम अधिक है, क्योंकि इसमें आपातकालीन ब्रेकिंग जैसी अन्य ADAS सुविधाएं नहीं हैं। यह सुविधा ड्राइवरों को मानसिक रूप से शांत रखती है और वे स्थिति के बारे में अपनी जागरूकता खो देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप एकाग्रता में कमी आती है और बाद में दुर्घटनाएं हो जाती हैं। स्टडी में क्रूज नियंत्रण को अन्य ADAS फंक्शन, विशेष रूप से ऑटोमैटिक इमरजेंसी ब्रेकिंग (AEB), ड्राइवर मॉनिटरिंग सिस्टम और लेन कीप असिस्ट के साथ जोड़ने का प्रस्ताव है। यह पाया गया कि ड्राइवर मॉनिटरिंग सिस्टम से लैस कारों में दुर्घटनाओं की संभावना 14% कम थी। हालांकि, टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम (TPMS) का यात्री सुरक्षा पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है।

वर्तमान में टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम भारत में कई मिड-साइज और फुल-साइज कारों में स्टैंडर्ट फीचर के रूप में आता है। इसमें टाटा मोटर्स और हुंडई के कुछ बुनियादी हैचबैक मॉडल भी शामिल हैं। दूसरी तरफ, महिंद्रा, एमजी और किआ जैसी कई ऑटोमेकर अपनी कारों को ADAS सूट के साथ पेश करती हैं। कॉमेट ईवी को छोड़कर, एमजी मोटर इंडिया का लगभग पूरा प्रोडक्ट पोर्टफोलियो जिसमें हेक्टर, ग्लोस्टर, विंडसर, जेडएस ईवी और एस्टर में ADAS फीचर मिलता है।

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ADAS के सेफ्टी फीचर्स
ADAS में अडॉप्टिव क्रूज कंट्रोल, एंटीलॉक ब्रेकिंग सिस्टम, ट्रैक्शन कंट्रोल, आगे कोई गाड़ी आने वाले टक्कर होने से पहले वॉर्निंग, ट्रैफिक सिग्नल पहचान और लेन डिपार्चर वॉर्निंग समेत 28 स्टैंडर्ड सेफ्टी फीचर्स शामिल है। ADAS कार में लगे कैमरे और सेंसर की मदद से काम करता है। इन दिनों कार के क्रैश टेस्ट में भी ADAS फीचर की टेस्टिंग की जाती है। इसका रिपोर्ट कार्ड अलग से तैयार किया जाता है। कुल मिलाकर कार सेफ्टी से जुड़ा ये फीचर्स आने वाले दिनों में कई कारों में देखने को मिलेगा। ADAS के चलते कार की कीमत में लाखों रुपए का अंतर भी आ जाता है।

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