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Vijaya Ekadashi Vrat Katha: भगवान राम ने भी रखा था यह व्रत, पढ़ें विजया एकादशी व्रत की कथा

  • इस व्रत की महिमा का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इस व्रत को भगवान राम ने भी रखा था। यहां पढ़ें विजया एकादशी व्रत की कथा-

Anuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तानMon, 24 Feb 2025 06:44 AM
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Vijaya Ekadashi Vrat Katha: भगवान राम ने भी रखा था यह व्रत, पढ़ें विजया एकादशी व्रत की कथा

विजया एकादशी 2025 फाल्गुन कृष्ण पक्ष को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले रखा था और उन्हें अपने काम में विजय मिली।इस दिन की कथा भी भगवान राम से जुड़ी ही है। एकादशी 23 फरवरी, रविवार, दोपहर 1 बजकर 55 से शुरू हो गई थी। अब फाल्गुन कृष्ण एकादशी ति​थि 24 फरवरी, सोमवार, दोपहर 1 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। यहां पढ़ें विजया एकादशी व्रत कथा-

अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा हे वासुदेव, फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या महत्व है। मैं आपसे जानना चाहता हूं।

तब श्री कृष्ण ने कहा, हे प्रिय अर्जुन फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी का व्रत करने वाला सदा विजयी रहता है। हे अर्जुन तुम मेरे प्रिय सखा हो, इसलिए मैं तुम्हें इस व्रत को बताऊंगा। आज तक इस व्रत की कथा मैंने किसी को नहीं सुनाई। तुमसे पहले देवर्षि नारद ही इस कथा को ब्रह्मा जी से सुन पाए हैं। त्रेतायुग की बात है। रामचंद्र जो विष्णु के अवतार थे, अपनी पत्नी सीता को ढ़ूढते हुए सागर तट पर जा पहुंचे। सागर तट पर भगवान राम का भक्त जटायु रहता था। उस पक्षी ने बताया कि माता सीता को लंका नगरी का राजा रावण उठाकर ले गया है। माता इस समय अशोक वाटिका में हैं। जटायु से सीता का पता जानकर भगवान राम अपनी वानर सेना के साथ लंका पर आक्रमण की तैयारी करने लगे। लेकिन सागर के जल जीवों से भरे दुर्गम मार्ग से होकर लंका पहुंचना प्रश्न बनकर खड़ा था। भगवान राम इस अवतार में मर्यादा पुरुषोत्तम के तौर पर दनिया के सामने उदाहरण देना चाहते थे, इसलिए आम मानव की तरह वो चिंतित हो गए । जब उन्हें सागर पर जाने का कोई रास्ता नहीं मिला तो उन्होंने लक्ष्मण से पूछा, हे लक्ष्मण अगर तुम्हारे पास कोई उपाय हो तो बताओ। श्रीराम चंद्र जी की बात सुनकर लक्ष्मण बोले, प्रभु आपसे कोई बीत छिपी नहीं है। मैं तो यही कहूंगा की यहां से आधा योजन दूर एक वकदाल्भ्य मुनि का आश्रम है। हमें चलकर उनसे इसका हल पूछना चाहिए।

तब भगवान श्रीराम लक्ष्मण समेत कदाल्भ्य मुनि के आश्रम में गए। मुनि ने भगवान राम को अपनी सेना समेत फाल्गुन कृष्ण मास की एकादशी का व्रत करने को कहा। उन्हों कहा कि इस व्रत से आप रावण को पराजित कर देंगे। श्री राम ने विजया एकादशी का व्रत अपनी सेना के साथ रखा और सागर पर पुव का निर्माण कराया। इसके बाद लंका की चढ़ाई की और रावण मारा गया। उन्हें जीत मिली।

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