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कब है सीता नवमी? जानें डेट, पूजा की विधि व मुहूर्त

Sita Navami 2025: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सीता नवमी मां सीता के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां सीता की विशेष पूजा करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 27 April 2025 10:14 PM
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कब है सीता नवमी? जानें डेट, पूजा की विधि व मुहूर्त

Sita Navami 2025: मई के महीने में इस साल सीता नवमी का पर्व मनाया जाएगा। सीता नवमी को सीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी प्रत्येक वर्ष मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सीता नवमी मां सीता के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां सीता की विशेष पूजा करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। आइए जानते हैं इस साल सीता नवमी की डेट, पूजा की विधि व मुहूर्त-

कब है सीता नवमी: दृक पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि मई 05, 2025 को सुबह 07:35 बजे से प्रारम्भ होगी। तिथि का समापन मई 06, 2025 को सुबह 08:38 बजे तक होगा। सीता नवमी मध्याह्न मुहूर्त सुबह 10:58 से दोपहर 01:38 बजे तक रहेगा, जिसकी अवधि - 02 घण्टे 40 मिनट्स रहेगी। सीता नवमी मध्याह्न का क्षण दोपहर 12:18 बजे तक।

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पूजा विधि: सीता नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थान को साफ करके गंगाजल से धो लें। भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें। रोली, चंदन, अक्षत, फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप आदि अर्पित करें। सीता नवमी व्रत कथा का पाठ करें। इसके बाद माता सीता और भगवान राम की आरती गाएं। फिर व्रत रखें और पूरे दिन भगवान का ध्यान करें। शाम को फिर से पूजा करें और लोगों को प्रसाद बांटे।

कथा: बाल्मिकी रामायण के अनुसार, एक बार मिथिला में भयंकर सूखा पड़ा था। इससे राजा जनक बेहद परेशान थे। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उन्हें एक ऋषि ने यज्ञ करने और खुद धरती पर हल चलाने का मंत्र दिया। राजा जनक ने अपनी प्रजा के लिए यज्ञ करवाया और फिर धरती पर हल चलाने लगे। तभी उनका हल धरती के अंदर किसी वस्तु से टकराया। मिट्टी हटाने पर उन्हें वहां सोने की डलिया में मिट्टी में लिपटी एक सुंदर कन्या मिली। जैसे ही राजा जनक सीता जी को अपने हाथ से उठाया, वैसे ही तेज बारिश शुरू हो गई। राजा जनक ने उस कन्या का नाम सीता रखा और उसे अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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