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Mahashivratri Vrat : 26 फरवरी को महाशिवरात्रि, जानें कब तक कर सकेंगे भगवान शंकर का जलाभिषेक?

  • महाशिवरात्रि इस बार 26 फरवरी बुधवार को मनाई जाएगी। मध्यरात्रि में जलाभिषेक किया जाएगा। इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है। महिलाएं जीवन में सुख समृद्धि और परिवार की खुशहाली के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 21 Feb 2025 06:17 PM
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Mahashivratri Vrat : 26 फरवरी को महाशिवरात्रि, जानें कब तक कर सकेंगे भगवान शंकर का जलाभिषेक?

महाशिवरात्रि इस बार 26 फरवरी बुधवार को मनाई जाएगी। मध्यरात्रि में जलाभिषेक किया जाएगा। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि इस दिन सुबह 11 बजकर 8 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 27 फरवरी की सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर होगा। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह सम्पन्न हुआ था। इसलिए यह भगवान शिव की आराधना का बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है। महिलाएं जीवन में सुख समृद्धि और परिवार की खुशहाली के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। जिसका पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है। हाशिवरात्रि का व्रत 26 फरवरी को रखा जाएगा।

27 फरवरी को जलाभिषेक का समय

27 फरवरी की सुबह 6 बजकर 47 बजे से सुबह 9 बजकर 42 बजे तक भक्तगण जलाभिषेक कर सकते हैं। इसके बाद मध्यान्ह काल में सुबह 11 बजकर 06 बजे से दोपहर 12 बजकर 35 बजे तक, फिर अपराह्न 3 बजकर 25 बजे से शाम 6 बजकर 08 बजे तक भी जलाभिषेक किया जा सकता है। आखिरी मुहूर्त रात में 8 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगा और रात 12 बजकर 01 बजे तक रहेगा।

महाशिवरात्रि पूजा-विधि: शिवरात्रि के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प करें। व्रत रखकर किसी शिव मंदिर या अपने घर में नर्मदेश्वर की मूर्ति या पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर समस्त पूजन सामग्री एकत्र कर आसन पर विराजमान होकर ‘मम इह जन्मनि जन्मान्तरेवार्जित सकल पाप क्षयार्थं आयु-आरोग्य-ऐश्वर्य-पुत्र-पौत्रादि सकल कामना सिद्धिपूर्वक अन्ते शिवसायुज्य प्राप्तये शिवरात्रिव्रत साड्गता सिध्यर्थं साम्बसदाशिव पूजनम करिष्ये। मंत्र जप करते हुए स्थापित शिवमूर्ति की षोडशोपचार पूजा करें। आक, कनेर, विल्वपत्र और धतूरा, कटेली आदि अर्पित करें। रुद्रीपाठ, शिवपुराण, शिवमहिम्नस्तोत्र, शिव संबंधित अन्य धार्मिक कथा सुनें। रुद्रभिषेक करा सकें, तो अत्यंत उत्तम है। रात्रि जागरण कर दूसरे दिन प्रात:काल शिवपूजा के पश्चात जौ, तिल और खीर से 108 आहुतियों ‘त्र्यम्बकं यजामहे या ‘ऊं नम: शिवाय आदि मंत्रों से यज्ञशाला में दें। ब्राह्मणों या शिवभक्तों को भोजन कराएं और दक्षिणा देकर विदा करें फिर स्वयं भोजन कर व्रत का पारण करें।

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