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Magh Purnima: आश्लेषा नक्षत्र और सौभाग्य योग में आज, दिन से लेकर रात तक इन शुभ योग और नक्षत्र में करें स्नान

  • माघ पूर्णिमा पर बुधवार को आस्था की डुबकी लगेगी। बुधवार को माघ पूर्णिमा पर कई शुभ संयेाग बन रहे हैं। इस बार आश्लेषा नक्षत्र और सौभाग्य योग में श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करेंगे।

Anuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तान, धनबाद, वरीय संवाददाता।Wed, 12 Feb 2025 06:58 AM
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Magh Purnima: आश्लेषा नक्षत्र और सौभाग्य योग में आज, दिन से लेकर रात तक इन शुभ योग और नक्षत्र में करें स्नान

माघ पूर्णिमा पर बुधवार को आस्था की डुबकी लगेगी। बुधवार को माघ पूर्णिमा पर कई शुभ संयेाग बन रहे हैं। इस बार आश्लेषा नक्षत्र और सौभाग्य योग में श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करेंगे। आज दिन में एक बार नहीं पूरे दिन से लेक रात तर कई शुभ योग बन रहे हैं, जिसमें स्नान और दान किया जा सकता है।

समय और नक्षत्र

सौभाग्य योग: 12 फरवरी सुबह 08.06 तक

शोभन योग: 12 फरवरी की सुबह 08.06 से 13 फरवरी की सुबह 07.31 तक

आश्लेषा नक्षत्र : 12 फरवरी की रात 07.35 तक

मघा नक्षत्र: 12 फरवरी की रात 07.35 बजे से 13 फरवरी की रात 09.07 तक

भद्रा: 12 फरवरी की सुबह 07.05 बजे तक

पंचांग के अनुसार 11 फरवरी की शाम 06.55 बजे ही शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का प्रवेश हो गया। पूर्णिमा 12 फरवरी की संध्या 07.23 तक है। खड़ेश्वरी मंदिर के पुजारी राकेश पांडेय बताते हैं कि इस वर्ष पूर्णिमा तिथि में आश्लेषा नक्षत्र और मघा नक्षत्र बन रहा है। सौभाग्य और शोभन योग इस तिथि को और भी विशेष बना रहा है। राकेश पांडेय बताते हैं कि माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान, व्रत, दान और सत्य नारायण पूजा का विशेष पुण्य बताया गया है। यही कारण है कि लाखों की संख्या में श्रद्धालु महाकुम्भ में पवत्रि स्नान का पुण्य कमाने पहुंचे हैं। बताया कि यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इस अवसर पर किए गए सत्कर्म मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

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पवित्र नदियों में स्नान का महत्व: वेदाचार्य पंडित रमेश चंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि माघ मास की पूर्णिमा, सनातन परंपरा में वह दिन है, जिसे बेहद विशेष माना गया है। पद्म पुराण, स्कंद पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में जो महत्व पूरे माघ महीने का बताया गया है, उसके अकेले का महत्व माघ मास की पूर्णिमा का है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की ही तरह माघ मास की पूर्णिमा का चंद्रमा भी अमृत वर्षा करता है और इस दौरान वह नदी, सरोवर आदि के जल को अमृत तुल्य कर देता है, इसलिए इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु नदी तट पर स्नान करने जुटते हैं।

महाकुम्भ में माघ पूर्णिमा का महत्व और बढ़ जाता है। बताया कि अगर नदियों व जलाश्यों में स्नान संभव नहीं है तो घर में ही पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। माघ पूर्णिमा की तैयारी पूरी कर ली गई है।

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