Hindi Newsधर्म न्यूज़Kashi Vishwanath Dham: Baba will not sleep even for a moment on Mahashivratri the temple will remain open for 48 hours

काशी विश्वनाथ धाम: महाशिवरात्रि पर एक क्षण भी नहीं सोएंगे बाबा, 48 घंटों के लिए खुला रहेगा मंदिर

  • महाशिवरात्रि पर महादेव के विवाह के महाआयोजन का महालाइव टेलीकास्ट होगा। पूरे विश्व के शिवभक्त बाबा के परिणय का उत्सव मोबाइल पर देख सकेंगे।

Anuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तान, वाराणसी, मुख्य संवाददाता।Thu, 20 Feb 2025 12:19 PM
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काशी विश्वनाथ धाम: महाशिवरात्रि पर एक क्षण भी नहीं सोएंगे बाबा, 48 घंटों के लिए खुला रहेगा मंदिर

महाशिवरात्रि पर महादेव के विवाह के महाआयोजन का महालाइव टेलीकास्ट होगा। पूरे विश्व के शिवभक्त बाबा के परिणय का उत्सव मोबाइल पर देख सकेंगे। 26 फरवरी को मंगला आरती से 27 फरवरी की भोग आरती तक 36 घंटों से अधिक का नॉनस्टॉप लाइव टेलीकास्ट मंदिर न्यास करेगा।

मंदिर प्रशासन महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं की सुविधा, सुरक्षा और सुगम दर्शन के लिए सभी प्रबंध कर रहा है। शिव-शक्ति के मिलन के पर्व महाशिवरात्रि पर काशी उत्सव में डूब जाती है। अपने विवाहोत्सव पर बाबा एक क्षण नहीं सोते हैं। वह पूरी रात भक्तों के साथ होते हैं। वर्ष में यह एकमात्र अवसर होता है, जब बाबा दरबार लगातार लगभग 48 घंटे भक्तों के लिए खुला रहता है। इस वर्ष इन 48 घंटों में 18 लाख से अधिक भक्तों का बाबा के दरबार में हाजिरी लगाने का अनुमान है। मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि 26 फरवरी की मंगला आरती से मंदिर के सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर बाबा के गर्भगृह का लाइव प्रसारण शुरू होगा। डीटीएच के माध्यम से भी लाइव दिखाने का प्रयास चल रहा है। उन्होंने बताया कि 36 घंटों का यह नॉन स्टॉप लाइव स्ट्रीमिंग सोशल मीडिया पर ‘श्रीकाशी विश्वनाथ टेंपल ट्रस्ट’ एवं ‘श्रीकाशी विश्वनाथ धाम’ नाम के चैनल पर देखा जा सकता है। पिछले वर्ष महाशिवरात्रि पर करीब 10 लाख भक्तों ने बाबा के दर्शन किए थे। इस बार महाकुम्भ से भीड़ के पलट प्रवाह को देखते हुए यह संख्या 18 लाख पार होने की संभावना है।

श्रीगणेश का पूजन कर शिवरात्रि की तैयारी शुरू

वाराणसी। विश्वनाथ धाम में महाशिवरात्रि की तैयारियां शुरू करने से पहले श्रीगणेश का पूजन किया गया। मंदिर न्यास का प्रतिनिधित्व करते हुए मंदिर के सीईओ विश्वभूषण ने पूजा की। प्रथमेश के जलाभिषेक के बाद सिंदूर से शृंगार किया गया। इसके बाद भगवान गणेश को वस्त्रत्त्, पुष्प, दुर्वा, माला, नैवैद्य, भोग अर्पित किया गया। स्तुति कर उनकी आरती उतारी गई।

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